माइनिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को फटकार

कोर्ट ने साल 2010 में खनन की सीमा तय करने के लिए आदेश पारित किया था लेकिन दोनों राज्यों ने उदासीनता बरती

माइनिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को फटकार

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • कहा, आंध्र को दिलचस्पी नहीं, कर्नाटक को भी कोई फर्क नहीं
  • कोर्ट ने जी जनार्दन रेड्डी की कंपनी समेत छह के लाइसेंस निलंबित किए थे
  • कोर्ट 27 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा
नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बीच खनन की सीमा तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों  राज्यों को आज फटकार लगाई. कोर्ट ने दोनों राज्यों को उदासीनता को लेकर लताड़ा.

कोर्ट ने कहा कि 2010 में सीमा तय करने के लिए हमने आदेश पारित किए थे. आंध्र प्रदेश को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है, कर्नाटक को भी कोई फर्क नहीं पड़ता. हम अपनी सीमाओं की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन राज्यों के भीतर की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं और न ही राज्यों को कोई दिलचस्पी है. 

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दरअसल 2010 में कोर्ट ने जी जनार्दन रेड्डी की ओबुलपुरम माइनिंग कंपनी समेत छह कंपनियों के खनन लाइसेंस को निलंबित कर दिया था. कोर्ट ने आंध्र और कर्नाटक को भारत के सर्वेक्षक की मदद से अंतरराज्यीय सीमाओं को तय करने का निर्देश दिया. खनन कंपनियां अवैध खनन कर रही थीं और खनन का काम आंध्र और कर्नाटक दोनों राज्यों के बीच फैल गया था. 

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केंद्र ने अदालत को बताया कि सीमांकन के उद्देश्य के लिए तीन बैठकें आयोजित की गई थीं और इस महीने के आखिरी सप्ताह में एक और बैठक की उम्मीद है. केंद्र ने कहा कि यह काम  31 अगस्त तक खत्म हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम हैरान हैं कि आंध्र प्रदेश ने लंबे समय तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और कर्नाटक ने भी वकील तक पेश नहीं किया. कोर्ट  27 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.


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