'राष्ट्रवाद' के नाम पर जोधपुर यूनिवर्सिटी में भी अच्छा खासा बवाल, एक प्रोफेसर की नौकरी पर लटकी तलवार

'राष्ट्रवाद' के नाम पर जोधपुर यूनिवर्सिटी में भी अच्छा खासा बवाल, एक प्रोफेसर की नौकरी पर लटकी तलवार

जोधपुर यूनिवर्सिटी में एबीवीपी के छात्र...

खास बातें

  • ABVP के प्रदर्शन और दबाव के बाद एक महिला प्रोफेसर का सस्पेंशन हो चुका है
  • अब प्रोफेसर के टर्मिनेशन की भी तैयारी है.
  • आरोप - जेएनयू प्रोफेसर निवेदिता मेनन के कुछ विवादस्पद बयान दिए.
जोधपुर:

सिर्फ रामजस ही नहीं 'राष्ट्रवाद' के नाम पर जोधपुर यूनिवर्सिटी में भी अच्छा खासा विवाद चल रहा है. जोधपुर में बीजेपी से संबद्ध छात्र संगठन एबीवीपी (ABVP) के प्रदर्शन और दबाव के बाद एक महिला प्रोफेसर का सस्पेंशन हो चुका है और अब उसके टर्मिनेशन की भी तैयारी है. विवाद एक सेमिनार को लेकर है. जहां जेएनयू (JNU) की एक प्रोफेसर निवेदिता मेनन के कुछ विवादस्पद बयान के बाद सेमिनार का आयोजन करने वाली प्रोफेसर को सस्पेंड कर दिया गया.

सरकार के इस कदम के बाद कहा जा रहा है कि महिला प्रोफेसर घबराई हुई है. महिला प्रोफेसर जोधपुर में अकेली रहती है. अब तक उसने मीडिया में बयान नहीं दिया है. लेकिन ज़ाहिर है उसने भी ये सवाल किया है कि सिर्फ सेमिनार का आयोजन करना कौन सा गुनाह हो गया?

कुछ लोगों का कहना है कि जो रामजस में आज हो रहा है, वो जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में हो चुका है और उसका खामियाजा यह प्रोफेसर भुगत रही है.

दरअसल मामला है फरवरी में हुए एक सेमिनार का है जहाँ इतिहास को साहित्य के नज़रिये से कैसा देखा जा सकता है, के विषय पर जेएनयू (JNU) की प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने कथित रूप से कुछ विवादित बयान दिए. निवेदिता मेनन के बयान का ABVP का समर्थन करने वाले छात्रों ने ज़ोरदार विरोध किया.

जोधपुर के जेएनवीयू में छात्रसंघ अध्यक्ष कुनालसिंह भाटी (एबीपीवी) ने कहा कि देश के विरोध जहाँ भी नारे लगेंगे वहां ABVP सामने आएगा.

मेनन ने क्या कहा, ये किसी को ठीक से पता तो नहीं लेकिन निवेदिता मेनन के खिलाफ जोधपुर के एक थाने में FIR दर्ज हो गई है. लेकिन इसका सीधा खामियाजा भुगतना पड़ा प्रोफेसर राजश्री राणावत को जिन्होंने सेमिनार का आयोजन किया था.

जोधपुर के जेएनवीयू के कुलपति प्रोफेसर डॉ आर पी सिंह ने कहा कि अभी तो तत्काल ससपेंड कर दिया है राजश्री को और टर्मिनेट करने का प्रोसेस शुरू कर दिया है, इसमें सब चीज़ आएंगे और सिंडिकेट को अधिकार है ससपेंड करने का और टर्मिनेट करने का." लेकिन सवाल ये है कि इतनी बड़ी सज़ा सिर्फ प्रोफसर राणावत को ही क्यों?

इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस पार्टी के नेता सचिव पायलट का कहना है कि "जो प्रोफेसर को टारगेट किया जा रहा है, वो अकेले इवेंट करने में नहीं थी उसके अप्रूवल अथॉरिटी वाईस चांसलर के हैं."

प्रोफेसर राणावत का कहना है कि उनको धमकियाँ मिल रही हैं. वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है.

इस बारे में जब एबीवीपी के प्रवक्ता साकेत बहुगुणा ने एनडीटीवी को बताया कि सेमिनार में निवेदिता मेनन ने देश के बारे में काफी कुछ कहा. यहां तक उन्होंने कहा कि भारत ने कश्मीर पर कब्जा कर रखा है. भारत का नक्शा उल्टा कर देना चाहिए.

एबीवीपी के नेता का कहना है कि जेएनयू की प्रोफेसर को वहां पर बोलने से रोका नहीं गया. वहां के छात्रों और प्रोफेसरों ने पहले विरोध किया था. एबीवीपी ने भी विरोध किया. इस पूरे प्रकरण के चलते एक दिन यूनिवर्सिटी बंद रही.

उनका कहना हैकि एकेडेमिक्स के नाम पर देश को तोड़ने का षड़यंत्र नहीं हो सकता है. एबीवीपी नेता का कहना है कि कार्यक्रम में मेनन का परिचय भी यह कराया गया था कि यही वह प्रोफेसर हैं जो कश्मीर की आजादी के बयान देने के लिए प्रसिद्ध हैं.

बहुगुणा का कहना है कि इस मामले में एबीवीपी ने कोई शिकायत नहीं की है. यूनिवर्सिटी के एक टीचर जो सेमिनार थे उन्होंने शिकायत दर्ज कराई है. निवेदिता मेनन जेएनयू में ऐसे बयान पहले भी दे चुकी हैं. बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी में ही कार्यक्रम के दौरान मेनन और वहां के कुछ शिक्षकों जोरदार बहस हो गई थी.


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