लेकिन असली सवाल यह कि अगर आपकी आय टैक्सेबल नहीं है, यानी आपकी आय पर टैक्स नहीं कटता या फिर अगर कोई रिफंड भी नहीं बनता तो भी क्या आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करनी चाहिए या नहीं?
दरअसल हां, अगर आपकी सालाना आय पर आप टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं चाहे भले ही कोई टैक्स कट नहीं बनता हो या फिर रिफंड न मिलता हो, आपको इसके कई फायदे मिलते हैं. आपका आईटीआर कई मामलों में आपको कई लाभ पहुंचा सकता है, वहीं कई मौकों पर अहम दस्तावेज का काम कर सकता है.
क्या है ITR फाइल करने के फायदे?
नहीं भरना होता जुर्माना
सबसे पहली बात आपको आईटीआर न भरने के लिए या फिर देरी से भरने के लिए निर्धारित जुर्माना नहीं भरना पड़ता. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में आपका रिकॉर्ड क्लीन रहता है. वहीं, आप कानूनी पचड़ों के झंझट से भी बच जाते हैं. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234F के तहत अगर आपकी सालाना आय 5 लाख से कम है तो आपको 1,000 और इससे ज्यादा की आय पर 10,000 का जुर्माना भरना पड़ता है. ऐसे में आपकी ड्यूटी बनती है कि आप अपना टैक्स रिटर्न फाइल करें.
एक्स्ट्रा इंटरेस्ट से बच जाएंगे
आईटीआर फाइल नहीं करने की स्थिति में, आपके ऊपर किसी स्थिति में बने रिटर्न पर ब्याज 1 फीसदी प्रति महीना बढ़ता रहता है, ऐसे में अगर आप आईटीआर फाइल नहीं करेंगे तो यह ब्याज की रकम बढ़ती ही जाएगी.
रिफंड क्लेम करना है तो
अगर आपके किसी निवेश में TDS (tax deducted at source) कटा है तो आपको रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर भरना होगा. यानी रिफंड चाहिए तो आईटीआर भरिए.
क्रेडिट और लोन प्रोसेसिंग में मिलती है मदद
आईटीआर की रसीद ऐसे मौके पर काम आती है. अगर आप भविष्य में कभी पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो यह मदद कर सकती है. बैंक और फाइनेंशियल कंपनियांं आपका क्रेडिट तय करने में आईटीआर की रसीद को वरीयता देती हैं. ऐसे में अगर आप अपना रिटर्न फाइल करते रहे हैं तो आपको लोन लेने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंस कवर का नुकसान नहीं
बैंकिंग संस्था आईटीआर न फाइल किए जाने की स्थिति में आपकी क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन रिजेक्ट कर सकती है. वहीं, अगर आप ज्यादा कवर वाली इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास आईटीआर सबमिशन होना मददगार साबित हो सकता है. अगर आपके पास ऐसा कोई प्रूफ नहीं है तो आपकी इंश्योरेंस कंपनी आपको हाई कवर वाली पॉलिसी देने से इनकार कर सकती है.