यह ख़बर 08 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के खतरों और आतंकवादी हमलों से किया आगाह

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोशल मीडिया व एसएमएस के दुरुपयोग को सरकार व सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती करार दी और कहा कि सामाजिक तनाव बढ़ाने के ये नए औजार बन गए हैं। उन्होंने देश में बढ़ रही साम्प्रदायिक हिंसा व जातीय तनाव पर भी चिंता जाहिर की।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोशल मीडिया व एसएमएस के दुरुपयोग को सरकार व सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती करार दी और कहा कि सामाजिक तनाव बढ़ाने के ये नए औजार बन गए हैं। उन्होंने देश में बढ़ रही साम्प्रदायिक हिंसा व जातीय तनाव पर भी चिंता जाहिर की।

पुलिस बलों के प्रमुखों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन मनमोहन सिंह ने यह भी चेताया कि देश में साइबर अपराध के खतरे बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि आतंकवादी संगठन नवम्बर 2008 के मुम्बई हमले की तर्ज पर हमले करने की क्षमता लगातार बनाए हुए हैं।

मनमोहन सिंह गुप्तचर ब्यूरो द्वारा आयोजित सम्मेलन में राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों तथा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों व महानिरीक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्य मंत्री वी. नारायणसामी, मुल्लापल्ली रामचंद्रन और जितेंद्र सिंह मौजूद थे।

मनमोहन सिंह ने कहा, "देश में पिछले कुछ महीनों में साम्प्रदायिक घटनाओं में वृद्धि और पूर्वोत्तर में हाल के सप्ताहों में जातीय तनाव की पुनरावृत्ति हम सभी के लिए खासतौर से चिंता के कारण रहे हैं।"

प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों के समक्ष खड़ी चुनौतियां गिनाते हुए कहा, "पूर्वोत्तर का जातीय तनाव राष्ट्रव्यापी बन गया, क्योंकि दक्षिण व पश्चिम भारत के विभिन्न शहरों से पूर्वोत्तर के लोगों का पलायन शुरू हो गया। इससे देश के साम्प्रदायिक हालात और बिगड़ गए, जिसके पहले से ही बिगड़ने के कुछ संकेत मिल रहे थे, खासतौर से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में।"

प्रधानमंत्री के सम्बोधन के दौरान वहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी और कैबिनेट सचिव अजीत सेठ श्रोता दीर्घा में उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल में असम में हुए जातीय संघर्षो में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी और दो लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए फैलाई गई अफवाहों के बाद पूर्वोत्तर के लोगों का बेंगलुरू, पुणे, मुम्बई और अन्य शहरों से पलायन शुरू हो गया।

मनमोहन ने कहा, "साम्प्रदायिक हालात को बिगाड़ने के लिए बल्क एसएमएस और सोशल मीडिया का इस्तेमाल नई चुनौती है, जिसे हाल के तनावों ने हमारे सामने पेश किया है। हमें इस बात को पूरी तरह समझने की जरूरत है कि ये नए माध्यम उपद्रवियों द्वारा किस तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं।"

मनमोहन ने कहा, "हमें इन नए माध्यमों के जरिए किए जा रहे कुप्रचार का मुकाबला करने के लिए रणनीतियां बनाने की भी जरूरत है। इस तरह के माध्यमों के इस्तेमाल पर नियंत्रण करने के किसी भी उपाय को अभिव्यक्ति व सम्पर्क की आजादी की आवश्यकता से सावधानीपूर्वक तालमेल बिठाना होगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे देश में साइबर अपराध के खतरे बढ़ रहे हैं, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण अधोसंरचना कम्प्यूटर नेटवर्क और इंटरनेट पर अत्यधिक निर्भर हो गई है।"

मनमोहन ने पुलिस प्रमुखों को चेताया, "हमारी महत्वपूर्ण अधोसंरचना और अर्थव्यवस्था पर बड़े पैमाने के कम्प्यूटर हमलों के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार एक मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे पर काम कर रही है, जो खतरा प्रबंधन व शमन, आश्वासन व प्रमाणन, क्षमता निर्माण व अनुसंधान के मुद्दे से निपटेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, "इसके लिए हमें सरकार, शैक्षिक समुदाय और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाने की जरूरत है।"

मनमोहन सिंह ने आगाह किया कि आतंकवादी संगठन नवम्बर 2008 के मुम्बई हमले की तर्ज पर हमले करने की क्षमता लगातार बनाए हुए हैं। इसके साथ ही मनमोहन ने भरोसा जताया कि नौसेना के नेतृत्व वाली सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता योजना तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।

मनमोहन ने कहा, "इस बात के भी संकेत हैं कि आतंकवादी संगठन समुद्र मार्ग के इस्तेमाल की अपनी क्षमता बनाए हुए हैं। नौसेना के नेतृत्व वाली सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता योजना तटीय चौकसी को मजबूत करने में मददगार होगी।"

जम्मू एवं कश्मीर के हालात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार और पाकिस्तान के साथ लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा से भी आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशें बढ़ रही हैं।

मनमोहन ने कहा, "ऐसे में न सिर्फ अपनी जमीनी सीमा पर निगरानी की जरूरत है, बल्कि तटीय सीमा पर भी... स्थायी सीमा अवरोधकों की अधिक तैनाती और बेहतर संवेदकों से जमीनी सीमा पर हालात सुधर सकते हैं।"

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प्रधानमंत्री ने कहा, "सुरक्षा वातावरण में सुधार के परिणामस्वरूप इस वर्ष अमरनाथ यात्रा सफल रही और रिकॉर्ड संख्या में पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया। राज्य ने सफलतापूर्वक पंचायत चुनाव भी कराए और अब वहा शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव भी कराए जाने की तैयारी है।"