यह ख़बर 15 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

स्वतंत्रता दिवस पर मनमोहन के भाषण पर ही नरेंद्र मोदी ने उठाए सवाल

खास बातें

  • मोदी ने कहा कि पीएम आज भी उन्हीं समस्याओं और चिंताओं का उल्लेख कर रहे हैं जिनका जिक्र नेहरू ने अपने पहले भाषण में किया था। उन्होंने सवाल किया, सवाल यह उठता है कि आपने पिछले 60 साल में क्या किया।
भुज:

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि राष्ट्र बदलाव के लिए ‘‘बेचैन’’ है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तगड़ा हमला बोलते हुए उन्हें ज्वलंत मुद्दों पर सार्वजनिक बहस के लिए ललकारा और साथ ही उन पर पाकिस्तान के प्रति ‘‘कमजोर’’ रुख अपनाने का आरोप लगाया।

भाजपा की चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख और आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार समझे जा रहे मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण के कुछ ही क्षण बाद अपने भाषण में सिंह को निशाने पर लिया।

अपने स्वत: स्फूर्त भाषण में मोदी ने पाकिस्तान और चीन को भारत के जवाब, भ्रष्टाचार, देश की अर्थव्यवस्था की हालत तथा खाद्य सुरक्षा विधेयक समेत विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री की आलोचना की।

उन्होंने कहा, राष्ट्र बदलाव के लिए बेचैन है। उन्होंने कहा, आप एक बड़े देश पर राज कर रहे हैं, हम एक छोटे राज्य को संभाल रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री को दिल्ली में बैठी सरकार और हमारी सरकार के बीच विकास तथा बेहतर प्रशासन के मुद्दे पर सार्वजनिक बहस की चुनौती देता हूं।

मोदी ने भुज में लालन कॉलेज परिसर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में अपने भाषण के दौरान यह बातें कहीं। मोदी ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा आज दिए गए प्रधानमंत्री के भाषणों के बीच तुलना की और अपने भाषण में पाकिस्तान के बारे में कड़ा रुख नहीं अपनाने के लिए मनमोहन सिंह की आलोचना की।
 
मोदी ने कहा,  राष्ट्रपति हमारे पांच सैनिकों के मारे जाने के मुद्दे पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। मुझे उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री इसी प्रकार की चिंता जताएंगे लेकिन वह कड़ी बात करने में विफल रहे। मुखर्जी ने बुधवार को पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि ‘‘संयम की सीमा होती है’’ और आतंरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा क्षेत्रीय अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए ‘‘जरूरी कदम ’’ उठाए जाएंगे।

प्रधानमंत्री के भाषण को ‘‘बड़ी निराशा’’ बताते हुए मोदी ने कहा कि इसमें कोई जान नहीं थी और यह किसी प्रकार की प्रेरणा देने में विफल रहा है।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे इस बात पर हैरानी होती है कि सर्वाधिक बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली हस्तियों में आपका नाम शामिल हो रहा है, लेकिन आप वही बातें कर रहे हैं जो पंडित नेहरू ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कही थीं। मोदी ने कहा कि सिंह आज भी उन्हीं समस्याओं और चिंताओं का उल्लेख कर रहे हैं जिनका जिक्र नेहरू ने अपने पहले भाषण में किया था।

उन्होंने सवाल किया, सवाल यह उठता है कि आपने पिछले 60 साल में क्या किया। यदि हालात में मामूली-सा बदलाव भी नहीं आया है... तो आपने क्या किया है?  मौजूदा आर्थिक हालात के लिए प्रधानमंत्री पर बरसते हुए मोदी ने कहा, श्रीमान प्रधानमंत्री, आपने देश की वर्तमान आर्थिक हालत का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की बात की, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि रुपये की कीमत जिस तरह से गिर रही है, यह संकट की ओर जा रहा है , उसके लिए कौन जिम्मेदार है?

आर्थिक ‘गड़बड़ी’ को दुरुस्त करने के लिए उपचारात्मक कदम नहीं उठाने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा कि सिंह कम से कम इतना तो कर सकते थे कि वे देश को बताते कि वह कैसे रुपये को मजबूत करेंगे और अर्थव्यवस्था में नई जान डालने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, इसके बजाय आप इसका ठीकरा वैश्विक आर्थिक मंदी के सिर पर फोड़ रहे हैं और कहते हैं कि भारत वैश्विक मंदी से अछूता नहीं रह सकता। मोदी ने कहा, भारतीय सैनिक मारे गए हैं और जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए कुछ उत्साहजनक बातें कही जानी चाहिए थीं। मैं नहीं समझता कि लाल किला पाकिस्तान को चुनौती देने के लिए उचित मंच है और न ही हमें इसमें समय बर्बाद करना चाहिए, लेकिन यह हमारे सैन्य बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए उचित मंच था।

उन्होंने कहा, यह मेरी भावना है... उन्हें  (प्रधानमंत्री) हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाना चाहिए था। मोदी ने कहा, एक तरफ राष्ट्रपतिजी कह रहे हैं कि हमारे संयम की सीमा है लेकिन राष्ट्रपति जी इस संयम की क्या सीमा है? इसके लिए सीमा रेखा क्या है... इसका फैसला केंद्र की सरकार को करना होगा।

उन्होंने कहा, क्या कारण है कि हमें नहीं पता कि... हमारी सीमा क्या है.... कब तक हम बर्दाश्त करते रहेंगे.. इसको साफ बताया जाना चाहिए। और यह केवल पाकिस्तान का सवाल नहीं है, आज राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया, चीन ने क्या किया है? एक आजाद भारत में आज चीन घुस आता है और हमारी सीमा पर अवरोधक खड़े कर देता है... वह हमारे क्षेत्र में आकर डट जाता है।

भ्रष्टाचार पर राष्ट्रपति द्वारा जताई गई चिंताओं का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, भारत के राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार पर अपनी गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने बुधवार को अपने भाषण में इस पर अपने दुख का इजहार किया। बेहतर होता कि लालकिले से भी भ्रष्टाचार के बारे में कुछ बोला जाता।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी राष्ट्रपति जी की भावनाओं और चिंताओं का सम्मान करना आपका पहला अधिकार है, लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ। मोदी ने सवालिया अंदाज में कहा, हम भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध क्यों नहीं छेड़ सकते और... बहनों-भाइयों... इस भ्रष्टाचार का जन्म कहां से हुआ है ?... क्या देश को यह जानने की जरूरत नहीं है?। उन्होंने कहा,  क्या देशवासी इस पर जवाब नहीं मांगेंगे? मैं राजनीतिक भाषा में बात नहीं करना चाहता, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि भ्रष्टाचार देश के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है...। यह हमारे देश का दर्द, और संताप है।

मोदी ने कहा, पुराने जमाने के टेलीविजन धारावाहिकों में भाई भतीजावाद भ्रष्टाचार की मुख्य वजह होता था... समय बदलने के साथ यह बदल गया है... भ्रष्टाचार पर मामा और भांजे का नया धारावाहिक आया और अब यह सास, बहू और दामाद के सीरियल में परिवर्तित होने की ओर बढ़ रहा है।

मोदी ने गांधी परिवार को परोक्ष रूप से निशाना बनाते हुए कहा, भ्रष्टाचार हमारे देश को नष्ट कर रहा है और जो देश पर राज कर रहे हैं, उनके परिवार आंकठ (भ्रष्टाचार में) डूबे हैं। जब तक उच्चतम न्यायालय उन्हें फटकार नहीं लगाता, वे लगातार चुप्पी साधे रहते हैं और इसमें जुटे रहते हैं।

उन्होंने कहा, इसलिए, भाइयों और बहनों, राष्ट्रपतिजी का बयान हम सभी से आत्मावलोकन का आह्वान करता है और यह चिंता शीर्ष पर होनी चाहिए। राष्ट्रपति मुखर्जी ने बुधवार को कहा था, भ्रष्टाचार एक मुख्य चुनौती बन गया है। देश के अमूल्य संसाधन काहिली तथा उदासीनता के कारण नष्ट हो रहे हैं। यह हमारे समाज की गतिशीलता को कुंद कर रहे हैं। हमें इसे रोकने की जरूरत है। मोदी ने अपने घंटाभर के भाषण में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा संसद को बाधित किए जाने का मुद्दा भी उठाया।

उन्होंने कहा, यदि विपक्षी दल अपनी आवाज उठाते हैं तो लोकतंत्र में इसे समझा जा सकता है, लेकिन चिंता की बात यह है कि देश में पहली बार सत्तारूढ़ पार्टी लोकसभा नहीं चलने दे रही है और उसके कामकाज में बाधा डाल रही है। मोदी ने कहा, उन्होंने इसे अखाड़ा बना दिया है और यदि ऐसा सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा किया जाता है तो संकट गहरा हो जाता है और इसलिए राष्ट्रपति जी संसद के कामकाज के संबंध में आपके द्वारा जताई गई चिंता वास्तविक है। उन्होंने संसद में व्यवधान के संबंध में राष्ट्रपति की चिंता के जवाब में कहा, हमें लोकतंत्र के मंदिर, संसद का गर्व बनाए रखने में अपनी ओर से बेहतर प्रयास करना चाहिए।

मोदी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री द्वारा केवल एक परिवार को याद करने और बाकी सभी अन्य महान नेताओं को भूलने के लिए प्रधानमंत्री पर हमला बोला और कहा, प्रधानमंत्री जी, बड़ी निराशा की बात है कि लालकिले से आपने केवल एक परिवार के बारे में बोला। क्या यह बेहतर नहीं होता कि आज के दिन आपको सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करना चाहिए था, एक व्यक्ति जिसने भारत को एकजुट किया, क्या यह बेहतर नहीं होता कि देश को एकजुट करने वाला अच्छा संदेश दिया जाता।

मोदी ने कहा, प्रधानमंत्री जी, लाल बहादुर शास्त्री, आपकी अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री थे। क्या यह बेहतर नहीं होता कि जब आप पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा जी और राजीव जी का उल्लेख कर रहे थे तो आपने लाल बहादुर शास्त्री जी का भी उल्लेख किया होता। वह भी हमारे देश के प्रधानमंत्री रहे हैं और उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, उन्होंने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था और भारत के किसानों को प्रेरित किया और जो देश आजादी के बाद भी लोगों का पेट भरने के लिए अन्न आयात कर रहा था, तब, वही इंसान थे, जिन्होंने किसानों को प्रेरित किया। आपको शास्त्री जी का भी नाम लेना चाहिए था। उन्होंने कहा, आपके रास्ते में कोई राजनीति या वंशवाद की राजनीति नहीं आनी चाहिए थी। लेकिन आपने ऐसा क्यों किया.... मैं समझ सकता हूं कि आपको अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम याद नहीं रहा होगा... मैं आपकी मजबूरियां समझता हूं, लेकिन आपको लाल बहादुर शास्त्री जी का नाम क्यों नहीं याद आया.... मुझे यह बात हजम नहीं हो रही है। 

मोदी ने इसके बाद कहा, सरदार पटेल, जिन्होंने पूरा जीवन कांग्रेस की सेवा में लगा दिया, आपको वह भी याद नहीं रहे, इस पर हमें दिल में पीड़ा होती है। खाद्य सुरक्षा विधेयक और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर लिखे पत्र का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, बेहतर होता कि प्रधानमंत्री देश को यह बताते।

उन्होंने कहा, मैंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है और सुझाव दिया है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक में कई खामियां हैं, जिन्हें दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। हमने विधेयक का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, हम गरीबों की थाली में खाना परोसे जाने के खिलाफ नहीं हैं। इस विधेयक की कमियों को सही करना आपकी जिम्मेदारी है, लेकिन आप (प्रधानमंत्री) हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं हैं। मोदी ने कहा, गरीब लोगों की थाली में खाना परोसने के बजाय यह सरकार गरीब लोगों की थाली में एसिड परोस रही है, नमक छिड़क रही है।

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उन्होंने कहा, खाद्य सुरक्षा विधेयक लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने में विफल रहा है, यह भोजन की गुणवत्ता बढ़ाने में विफल रहा है, यह भोजन की कीमत कम करने में विफल रहा है... और इसके बावजूद आप दावा कर रहे हैं कि यह लोगों के लिए अच्छा है।
   
मुख्यमंत्री मोदी ने कहा, इस विधेयक ने जिस तरह से हमारे संघीय ढांचे की बुनियाद की अनदेखी की है, मैं उससे चिंतित हूं। यह कुछ कानूनी लड़ाई में फंस सकता है और गरीब लोग फिर से भोजन सुरक्षा से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने इसके साथ ही कहा, हम चाहते हैं कि यह विधेयक एक अच्छा विधेयक हो और इसके लिए मैंने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया था कि वह सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएं। यदि आपको गरीबों की चिंता थी तो आपको बैठक बुलाकर विधेयक की कमियों पर विचार करना चाहिए था।