स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है भारत : मोदी

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है भारत : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

कोझीकोड:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार आयुर्वेद जैसी पारंपरिक औषधीय प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसका अपर्याप्त वैज्ञानिक जांच, मानक एवं गुणवत्ता चिंताओं के कारण दोहन नहीं हो पाया है।

चीन जैसे देशों के अनुभवों से सीखेगा भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस बारे में चीन जैसे दूसरे देशों के अनुभवों से सीखेगा जिन्होंने अपनी पारंपरिक औषधियों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां एवं नियमन तैयार किए हैं। उन्होंने कहा, ‘ वहनीय एवं समग्र स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत दुनिया का नेता बन सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘ अगर इन मुद्दों को ठीक ढंग से सुलझाया जाए तब मुझे विश्वास है कि आयुर्वेद स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकता है। भारत दुनिया में वहनीय, समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के संबंध में नेतृत्व प्रदान कर सकता है।’ यहां पांच दिवसीय ‘वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव’ के दौरान विजन कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार पारंपरिक औषधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि देश में सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जा सके।

पारंपरिक औषधियों के उपयोग को प्रोत्साहन
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम शोध के नियमन एवं उत्पादों, व्यवस्था और चिकित्सकों के संयोजन के जरिए अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में पारंपरिक औषधियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने को प्रतिबद्ध हैं। ’ उन्होंने कहा कि ऐसी पहल औषधियों के साइड इफेक्ट और उपचार के बढ़ते खर्च से निपटने के लिए की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र एवं राज्य स्तर पर आयुष औषधियों के नियामक ढांचे को मजबूत बनाने और नियामक संशोधनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्रीय औषधी मानक नियंत्रण संगठन में आयुष औषधियों का एक ढांचा तैयार करने की पहल की जा रही है। भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर नियंत्रण और गुणवत्ता नियंत्रण गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत राज्यों को वित्तीय समर्थन मुहैया कराने के कदम उठाए जा रहे हैं।

आयुर्वेद वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद आज वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक है क्योंकि स्वास्थ्य के प्रति इसकी पहल समग्र और व्यापक है। मोदी ने कहा, ‘ आयुर्वेदिक दिनचर्या से हमारे जीवन में शांति और सौहार्द लाने में मदद मिलती है । हमारे दैनिक जीवन में आयुर्वेद के जरिए मनुष्य के समग्र मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त किया जा सकता है। ’ उन्होंने कहा कि युवा उद्यमी ऐसे स्टार्टअप की योजना बना रहे हैं जिससे समग्र स्वास्थ्य सेवा के लिए अवसर प्रदान कर सकें। हम आयुर्वेद और योग तथा अन्य पारंपरिक माध्यमों के जरिए उनकी प्रतिभाओं का उपयोग करके समन्वित चिकित्सा सुविधा को प्रोत्साहित करेंगे।

आयुर्वेद भारतीय व्यवस्था में लोकप्रिय बने
मोदी ने कहा कि चीन ने अपनी पारंपरिक औषधियों के सुरक्षित उपयोग को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए हैं जिसकी वैकल्पिक औषधियों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘ मैं जानता हूं कि चीन में पारंपरिक औषधियों के सुरक्षित उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां और नियमनों को बनाने एवं उसे स्थापित करने की दिशा में काफी प्रयास किए जा रहे हैं जिसकी पूरक एवं वैकल्पिक औषधियों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी है। ’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ हम दूसरे देशों के अनुभवों से सीखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आयुर्वेद एवं अन्य चीजें भारतीय व्यवस्था में फलें फूलें और लोकप्रिय बनें ।’ सरकार की नीति के बारे में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एवं अन्य भारतीय औषधीय व्यवस्था पहले ही डब्ल्यूएचओ के 2014.23 पारंपरिक औषधि रणनीति के अनुरूप है जिसे 192 सदस्यीय संगठन ने लागू किया है।

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गैर संचारी रोग बन गए बड़ी चुनौती
देश के सामने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि गैर संचारी और जीवनशैली से जुड़े हाईपर टेंशन, मधुमेह और कैंसर जैसे रोग बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन गए हैं। डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि गैर संचारी रोगों से प्रति वर्ष 3.8 करोड़ लोग मारे जाते हैं। मोदी ने कहा कि आयुर्वेद इस संबंध में समाधान पेश करता है।