संपर्क माध्यम के रूप में काम कर सकते हैं भारत-उत्तर कोरिया के संबंध : टिलरसन

भारत ने अमेरिका से कहा था कि उत्तर कोरिया में प्योंगयांग में एक छोटा सा भारतीय दूतावास है जो वहां रहना चाहिए जिससे कि संपर्क का कोई माध्यम खुला रहे

संपर्क माध्यम के रूप में काम कर सकते हैं भारत-उत्तर कोरिया के संबंध : टिलरसन

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन सुषमा स्वराज के साथ.

खास बातें

  • अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन की भारत यात्रा के दौरान मुद्दा उठा
  • 2016-17 में भारत और उत्तर कोरिया के बीच 13 करोड़ डॉलर का व्यापार था
  • मौजूदा वित्त वर्ष में एक करोड़ नौ लाख पचास हजार डॉलर का रह गया व्यापार
जिनेवा/ नई दिल्ली:

अमेरिका और उत्तर कोरिया के मध्य बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा है कि प्योंगयांग के साथ भारत के कूटनीतिक संबंध ‘‘संपर्क के लिए माध्यम’’ के रूप में काम कर सकते हैं. भारत ने अमेरिका को सूचित किया था कि उत्तर कोरिया के साथ उसका ‘‘न्यूनतम’’ व्यापार है और प्योंगयांग में एक छोटा सा भारतीय दूतावास है जो वहां रहना चाहिए जिससे कि संपर्क का कोई माध्यम खुला रहे.

टिलरसन की भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके अमेरिकी समकक्ष के बीच बुधवार को यह मुद्दा उठा. प्योंगयांग में अपना दूतावास बंद करने से भारत के इनकार पर एक सवाल के जवाब में टिलरसन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उन्होंने सिर्फ यह संकेत दिया कि उनका मानना है कि संपर्क के माध्यम के रूप में कार्यालय का वहां महत्व है.’’ जिनेवा में टिलरसन के साक्षात्कार के अंशों के अनुसार, यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस आकलन से सहमत हैं, टिलरसन ने जवाब दिया, ‘‘यह हो सकता है.’’

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में भारत और उत्तर कोरिया के बीच 13 करोड़ डॉलर का व्यापार था, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में यह एक करोड़ नौ लाख पचास हजार डॉलर का रह गया है. उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों पर उसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत ने अप्रैल से प्योंगयांग के साथ खाद्य पदार्थों और दवाओं को छोड़कर सभी तरह का व्यापार रोक दिया है.

टिलरसन ने कहा कि अमेरिका एशिया में भारत और उसके तरह के अन्य देशों के साथ नए रास्ते तलाशना चाहता है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ आर्थिक और सुरक्षा संबंधों पर मेरी समग्र चर्चा हुई. यह आवश्यक है कि हमारे दोनों लोकतंत्र हमारे लोगों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ अमेरिका के संबंध 70 साल से सकारात्मक थे, लेकिन ये अगले स्तर तक नहीं पहुंचे और यह दोनों पक्षों की ओर से था.’’

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प्योंगयांग के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा उत्तर कोरिया के शासक किम जांग उन के बीच वाकयुद्ध होता रहा है और वे एक-दूसरे की बेइज्जती करने वाले बयान देते रहे हैं. सितंबर के शुरू में कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव तब नाटकीय ढंग से बढ़ गया जब उत्तर कोरिया ने अपना सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण किया. प्योंगयांग की आधिकारिक समाचार एजेंसी केसीएनए ने इसे हाइड्रोजन बम करार दिया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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