यह ख़बर 02 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

भारत ने शरण देने संबंधी स्नोडेन का अनुरोध अस्वीकार किया : विदेश मंत्रालय

खास बातें

  • भारत ने अमेरिका के एडवर्ड स्नोडेन की उस याचिका को अस्वीकार कर दिया है जिसमें स्नोडेन ने भारत में राजनीतिक शरण के लिए अपील की थी। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
नई दिल्ली:

भारत ने अमेरिका के एडवर्ड स्नोडेन की उस याचिका को अस्वीकार कर दिया है जिसमें स्नोडेन ने भारत में राजनीतिक शरण के लिए अपील की थी। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।

इससे पहले आज ही खबर आई थी कि अमेरिकी जासूसी कारनामों को उजागर करने वाले एडवर्ड स्नोडेन ने भारत समेत 20 देशों से शरण मांगी है।

स्नोडेन के मामले में विकीलीक्स की कानूनी सलाहकार साराह हैरिसन ने स्नोडेन की ओर से इस संबंध में आवेदन किया है। स्नोडेन की वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई थी।

विकीलीक्स ने एक बयान में बताया, ‘‘30 जून 2013 को विकीलीक्स की कानूनी सलाहकार साराह हैरिसन ने एडवर्ड स्नोडेन के मामले में खुद अपने हाथ से आवेदन सौंपे हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘आवेदन देर शाम मास्को में शेरमेत्येवो हवाई अड्डे पर रूसी वाणिज्य दूतावास में एक अधिकारी को दिए गए।’’
इसके साथ ही इसमें ऐसे संबंधित दस्तावेजों को भी जोड़ा गया है जिनमें स्नोडेन को अमेरिका में उत्पन्न होने वाले खतरों का जिक्र किया गया है।

इस संबंध में आवेदन कई देशों को किए गए हैं जिनमें आस्ट्रिया, बोलिविया, ब्राजील, चीन, क्यूबा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, आयरलैंड, नीदरलैंड, निकारागुआ, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्विस कनफेडरेशन तथा वेनेजुएला शामिल हैं।

ओबामा प्रशासन ने विभिन्न देशों को चेतावनी दी है कि स्नोडेन को शरण प्रदान नहीं की जाए क्योंकि वह जासूसी तथा गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के आरोपों में अमेरिका में वांछित है।

अमेरिका ने सोमवार को कहा था कि स्नोडेन का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है और उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई होगी तथा वह बतौर अमेरिकी नागरिक अपने सभी अधिकारों को इस्तेमाल करने के अधिकारी होंगे।

विदेश विभाग की प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हम एकल प्रवेश यात्रा दस्तावेज जारी करने को तैयार हैं। वह अभी भी एक अमेरिकी नागरिक हैं। वह अभी भी अपनी अमेरिकी नागरिकता के अधिकारी हैं जिसमें उसे अपने ऊपर लगे आरोपों की निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई करवाने का हक भी शामिल है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह (स्नोडेन) किसी भी अमेरिकी नागरिक को प्राप्त अधिकारों और जिम्मेदारियों को वहन करने के अधिकारी हैं। हमारे संविधान के तहत उन्हें अपने मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई का अधिकार है।’’ उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘उनका एक देश है जिसमें उन्हें लौटना होगा और वह अमेरिका है।’’

पिछले माह गोपनीय सूचनाओं से भरा लैपटाप लेकर हांगकांग निकल भागने से पूर्व स्नोडेन एनएसए के लिए काम करते थे। ऐसा माना जा रहा है कि वह 23 जून को हांगकांग से लौटने के बाद से इस समय मास्को हवाई अड्डे के ट्रांजिट जोन में हैं।

जासूसी और गोपनीय दस्तावेज लीक करने के आरोपों में वह अमेरिका में वांछित हैं। पिछले माह स्नोडेन द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों से एनएसए द्वारा दुनियाभर में बड़े पैमाने पर फोन काल्स की निगरानी किए जाने और इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखे जाने का खुलासा हुआ है।

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लीक दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय दूतावास ऐसे 38 राजनयिक मिशनों की सूची में है जिनकी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा जासूसी की जा रही है।