यह ख़बर 28 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

रिपोर्ट के अनुसार मणिपुर में म्यांमार ने की 'घुसपैठ'

भारतीय सीमा की मुआयना करते मणिपुर के अधिकारी

खास बातें

  • मणिपुर के मोरेह सेक्टर में म्यांमार की ओर घुसपैठ की खबर है। भारत ने इस मुद्दे पर म्यांमार से बात की है। बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले भारतीय सीमा के भीतर स्थित एक गांव के करीब म्यांमार की सेना की एक टुकड़ी एक कैम्प बना रही थी।
नई दिल्ली:

मणिपुर के मोरेह सेक्टर में म्यांमार की ओर घुसपैठ की खबर है। भारत ने इस मुद्दे पर म्यांमार से बात की है। बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले भारतीय सीमा के भीतर स्थित एक गांव के करीब म्यांमार की सेना की एक टुकड़ी एक कैम्प बना रही थी।

इस कैम्प को बनाने के लिए म्यांमार की टुकड़ी इलाके में स्थित पेड़ों को काट रही थी। यह कैम्प मोरेड कस्बा के होलेफाई गांव की भूमि पर लगाया जा रहा था

यह गांव सीमा पर स्थित विवादित पिलर संख्या 76 के करीब है। अधिकारियों का कहना है कि इस सीमा पर करीब नौ पिलरों पर विवाद है।

सूचना के अनुसार म्यांमार की सेना के जवानों का कहना था कि यह गांव उनकी सीमा में आता है, लेकिन नई दिल्ली का कहना है कि सीमा अभी तक स्पष्ट नहीं है। और भारतीय सीमा के भीतर कोई निर्माण नहीं कराया जा रहा है।

विदेश मंत्रालय का कहना है कि म्यांमार के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। दोनों देश इस बात को लेकर एकमत हैं सीमा का सही निर्धारण हो जाए। इसके लिए दोनों देशों को एक मिला जुला सर्वे करना होगा। विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि म्यांमार से यह कहा गया है कि जब सीमा का सटीक निर्धारण नहीं हो जाता है तब तक वह यह कैम्प हटा ले।

सूत्रों का कहना है कि म्यांमार में भारतीय राजदूत गौतम मुकोपाध्याय गुरुवार को म्यांमार सरकार के प्रतिनिधियों से मिलकर इस 'घुसपैठ' पर चर्चा करेंगे।

वहीं, रिपोर्ट के अनुसार राज्य के अधिकारियों का और सीमा की सुरक्षा में लगी असम का कहना है कि यह एक 'स्थानीय गलतफहमी' है, घुसपैठ नहीं।

मणिपुर के राज्यपाल अश्विनी कुमार ने चंदेल जिले में मोरेह शहर की सीमा के पास 10 किलोमीटर लंबे इलाके का जायजा लिया है जहां म्यामां ने हाल ही में बाड़ लगाने की कोशिश की।
आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि कुमार ने कल मोरेह का दौरा किया और ग्राम प्रधानों तथा अधिकारियों से इस बारे में बात की कि यदि म्यामां के अधिकारी कथित तौर पर तस्करी और उग्रवादियों की आवाजाही रोकने के लिए बाड़ लगाने के काम पर आगे बढ़ते हैं तो इससे भारतीय भूक्षेत्र का नुकसान होने की कितनी आशंका है।

ग्राम प्रधानों और अधिकारियों ने राज्यपाल को एक विस्तृत रिपोर्ट दी, जिन्होंने इन लोगों को भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे को राज्य और केंद्र सरकारों के समक्ष उठाएंगे।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इससे पहले केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि वह म्यामां से सीमा पर उस वक्त तक बाड़बंदी का कार्य रोकने को कहे जब तक कि दोनों सरकारें इलाके का एक संयुक्त सर्वेक्षण नहीं कर लेतीं।

मणिपुर के प्रधान सचिव सुरेश बाबू, जिन्होंने इलाके का निरीक्षण किया, ने कहा कि कल हम साथ बैठेंगे और अपने-अपने मानचित्रों पर विचार करेंगे। म्यांमार एक मित्र राष्ट्र है और हम दोनों को सहयोग करना होगा।

राज्य के प्रधान सचिव के नेतृत्व वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने 26 अगस्त को इलाके का दौरा किया। यह राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी जो इसे केंद्र सरकार के पास भेजेगी।
मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह ने इससे पहले कहा था कि इलाके में सीमा पर लगे कुछ खंभे गायब हैं और रखरखाव नहीं होने के चलते कुछ सघन घासों से ढंके हुए हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार से म्यामां अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का अनुरोध किया।

सीमावर्ती इलाके का दौरा करने वाले सामाजिक संगठनों ने यह मांग की कि केंद्र और राज्य सरकार म्यामां के अधिकारियों को सीमा पर बाड़ लगाने की कोशिश करने से तब तक रोके रखें, जब तक कि इस मुद्दे का हल नहीं हो जाता।

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(इनपुट भाषा से भी)