सेना टूअऱ ऑफ डयूटी नाम से लेकर आ रही है योजना, तीन साल के लिए युवाओं की होगी भर्ती

थल सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि यह सेवा पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी . ऐसे युवाओ के लिये बहुत फायदेमंद साबित होगा जो सेना में 10 साल के लिये आना नही चाहते .

सेना टूअऱ ऑफ डयूटी नाम से लेकर आ रही है योजना, तीन साल के लिए युवाओं की होगी भर्ती

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली:

अगर आप युवा है. फिट है. टैलेंटेड है. उम्र और डिग्री है . भारतीय नागरिक भी है. सेना में जाने की हसरत है तो केवल तीन साल के लिये सेना में जा सकते है . देश की सेवा कर सकते है. अपने सपने को पूरा कर सकते है . सेना ने टूअऱ ऑफ डयूटी के नाम से एक प्रस्ताव तैयार किया है जो अब अंतिम चरणों में है . सेना अपने स्तर पर इसे फाइनल करने के बाद सरकार के पास भेजेगी और अगर वहां से से हरी झंडी मिल जाती है तो ऐसे हजारों युवा की चाहत पूरी हो जाएगी जो सेना की वर्दी पहनने की ख्वाइश रखते है .  

 थल सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि यह सेवा पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी . ऐसे युवाओ के लिये बहुत फायदेमंद साबित होगा जो सेना में 10 साल के लिये आना नही चाहते. यह कही सेे भी मिलेट्री सर्विस की तरह कंपलसरी नही होगा . आज का युवा देश के लिये कुछ करना चाहता है . ऐसे युवा जब सेना में आयेंगे तो फौज को युवा बनाने में मदद मिलेगी . जो कही ज्यादा असरदार होगी . इसका मतलब यह नही है कि कही से क्वालिटी में कोई समझौता होगा . उम्र की सीमा और डिग्री वही होगी और साथ में ट्रेनिंग का स्टैर्न्ड भी कमतर नही होगा .  

 इससे सेना को भी काफी फायदा होगा . खासकर बजट के लिहाज से . तीन साल के लिए अगर कोई युवा सेना ज्वाइन करता है तो उससे सेना के ऊपर भार भी कम पड़ेगा . मसलन अलाउंस , ग्रेच्युटी, पेंशन जैसे कई सुविधायें देने से बच जाएगी . एक अनुमान के मुताबिक अगर कोई अधिकारी दस साल बाद सेना छोड़ता है तो उस पर सेना को करीब पांच करोड़ खर्च आता है . इसी तरह 14 साल तक सेना में कोई अधिकारी रहता है तो उसपर करीब पौनेे सात करोड़ खर्च आएगा . यही अगर कोई तीन साल तक अधिकारी रहता है तो उसपर 80 से 85 लाख ही खर्च आएगा . कर्नल आनंद के मुताबिक इससे सेना का पैसे बचेंगा जिसका इस्तेमाल वो सेना के आधुनिकीकरण में कर पायेंगे .  

सेना ने यह फैसला एक स्टडी रिपोर्ट के आधार पर किया है . इस रिपोर्ट में पता चला कि बहुत सारे ऐसे युवा है जिनके अंदर देश के लिये कुछ करने का जज्बा कूट कूट करके भरा है . फौज के साथ नौकरी भी करना चाहते है पर दस साल के लिए नही . ऐसे युवाओं के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है जो थोड़े पल के लिये यूनिफार्म पहनकर देश की सेवा करना चाहते है पर इसे अपने कैरियर नही बनाना चाहते . 

इसके साथ ही सेना अर्धसैनिक बलों में तैनात अफसरों के लिये इनवर्स इनडक्शन नाम से एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसमें कुछ अर्धसैनिक बलों के अधिकारी कुछ सालों के लिये डेपुटेशन पर सेना में आयेंगे . इससे सेना को बिना ट्रेनिंग दिये हुए प्रशिक्षित और अनुशाषित अधिकारी मिलेंगे तो वही दूसरी तरफ अर्धसैनिक बलों को भी बाद में ऐसे अधिकारी मिलेंगे जो सेना से प्रशिक्षित है . 

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कुल मिलाकर अब सेना बदलाव के दौर से गुजर रही है . हो सकता हैै आने वाले सालों में सेना बिल्कुल नये रंग और रुप में दिखे . यह सेना नये जरुरतों के मुताबिक होगी और कही ज्यादा असरदार .