यह ख़बर 28 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत के तेंदुओं पर है अंतरराष्ट्रीय तस्करों की नज़र

खास बातें

  • जानवरों की तस्करी पर नज़र रखने वाली संस्था ट्रैफिक की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत के तेंदुओं पर अंतरराष्ट्रीय तस्करों की नज़र है।
नई दिल्ली:

जानवरों की तस्करी पर नज़र रखने वाली संस्था ट्रैफिक की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत के तेंदुओं पर अंतरराष्ट्रीय तस्करों की नज़र है।

भारत में पिछले 10 साल के दौरान तस्करों ने हर हफ्ते औसतन चार तेंदुए मार गिराए।

तेंदुआ विशेषज्ञ राशिद रज़ा के मुताबिक पिछले 10 साल में 2300 तेंदुए मारे गए हैं… यानी हर साल 200 तेंदुए तस्करी के शिकार हो गए।

ट्रैफिक की रिपोर्ट बताती है कि अंतरराष्ट्रीय तस्कर लोकल तस्करों की मदद से तेंदुए की खाल और हड्डियां उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों से होकर दक्षिण−पूर्व एशिया और तिब्बत तक पहंचाने में कामयाब हो हो रहे हैं।

खतरा स्थानीय समुदायों से भी है जिनके साथ तेंदुओं की झड़प होती रहती है लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। डब्लयूडब्लयूएफ के प्रेसिडेन्ट दिव्यभानु चावड़ा ने एनडीटीवी को बताया कि देश में कितने तेंदुए बचे हैं… इसके बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी सरकार के पास नहीं है। जंगल कटते जा रहे हैं और तेंदुओं के रहने की जगह कम होती जा रही है।

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दरअसल, तेंदुए के संरक्षण में सबसे बड़ी अड़चन यह है कि आज़ादी के 65 साल बाद भी तेंदुए की आबादी के बारे में वैज्ञानिक जानकारी सरकार के पास नहीं है। नतीजा यह हुआ है कि सरकार को यह नहीं पता कि किस राज्य में कितने तेंदुए बचे हैं…।