भारत की पहली महिला मर्चेंट नेवी कैप्टन राधिका मेनन को मिला अंतरराष्‍ट्रीय बहादुरी पुरस्कार

भारत की पहली महिला मर्चेंट नेवी कैप्टन राधिका मेनन को मिला अंतरराष्‍ट्रीय बहादुरी पुरस्कार

राधिका मेनन (फाइल फोटो)

खास बातें

  • सात मछुआरों को बचाने में असाधारण बहादुरी का परिचय दिया
  • आईएमओ से पुरस्‍कृत होने वाली पहली महिला
  • आईएमओ के मुख्‍यालय में राधिका ने पुरस्‍कार ग्रहण किया
लंदन:

भारत की पहली महिला मर्चेंट नेवी कैप्टन पिछले साल अशांत बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाली एक नौका से सात मछुआरों को नाटकीय ढंग से बचाने में अपनी असाधारण बहादुरी दिखाने को लेकर आईएमओ के पुरस्कार से पुरस्कृत होने वाली पहली महिला बन गयी हैं. कैप्टन राधिका मेनन ने यहां अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के मुख्यालय में पुरस्कार समारोह में अपना पदक और प्रमाणपत्र ग्रहण किया.

पुरस्कार ग्रहण करने के बाद मेनन ने कहा, ''अपने और अपनी टीम के लिए इस सम्मान से मैं गौरवान्वित और विनीत महूसस करती हूं. मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करना नाविक का कर्तव्य है और मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया. नाविक का काम एक महान पेशा है जो विश्व व्यापार एवं अर्थव्यवस्था एवं सांस्कृतिक एकीकरण में भारी योगदान देता है . यह पहचान का हकदार है लेकिन उसे हमेशा यह मिल नहीं पाता.''

मेनन आईएमओ समुद्र असाधारण बहादुरी पुरस्कार ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं जिन्हें भारत सरकार ने नामित किया था. यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं.

उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है . खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गई थी. यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी. मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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