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नई दिल्ली: आर्थिक मंदी और कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार पिछले 11 साल में सबसे नीचे गिर गयी है. सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी ताज़ा आकड़ों के मुताबिक 2019%20 में जीडीपी विकास दर गिरकर पिछले साल के 6.1% से घट कर 4.2% रह गयी जो 2014 में मोदी सरकार के सत्ता आने के बाद सबसे कम है. 2019-20 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2020 में तो जीडीपी की रफ़्तार गिरकर सिर्फ 3.1 % रह गयी है.
ये आंकड़े दिखाते हैं की भारत में कोरोना संकट ज्यादा फैलने से पहले ही अर्थव्यवस्था कमज़ोर पड़ती जा रही थी और लॉकडाऊन की वजह से 2020-21 के पहली तिमाही में इसका और ज्यादा असर दिखेगा और गिरावट और बड़ी होगी. शुक्रवार को ही वाणिज्य मंत्रालय ने अप्रैल 2020 में लॉकडाऊन के दौरान 8 कोर इंडस्ट्रीज की हालत के बारे में आंकड़े जारी किये.
औद्योगिक विकास दर गिर
8 कोर इंडस्ट्री का इंडेक्स अप्रैल 2020 में अप्रैल 2019 के मुकाबले 38.1% गिरा. लॉकडाऊन की वजह से अप्रैल 2020 में कोयला, स्टील और सीमेंट के प्रोडक्शन में भारी गिरावट हुई. स्टील प्रोडक्शन में 83.9% और सीमेंट प्रोडक्शन में 86% गिरावट दर्ज़ हुई है.
ज़मीन पर इस गिरावट की वजह साफ़ दिखती है. एनडीटीवी की टीम जब ग़ज़ियाबाद के बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में पहुंची तो पाया की यहां की करीब 470 इंडस्ट्रियल यूनिट्स में 30% से 40% फैक्टरियां लॉकडाऊन की वजह से बंद पड़ी हैं. इस वजह से इस औद्योगिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है.
इंडस्ट्रियल एरिया मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजिव अरोरा ने कहा, 'यहां कंपनियों के पास वर्किंग कैपिटल नहीं है. संकट बड़ा है. फैक्टरी बंद पड़ी है तो प्रोडक्शन कैसे होगा. हमें सरकार से नया रिलीफ पैकेज चाहिए, जीएसटी से रिलीफ चाहिए.
कोरोना संकट और लॉकडाऊन का सीधा असर जब 2020-21 २१ की पहली तिमाही के नतीजों पर दिखेगा तो आर्थिक संकट की सही तस्वीर सामने आएगी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. एनएसओ ने इस साल जनवरी और फरवरी में जारी पहले और दूसरे अग्रिम अनुमान में वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. कोरोना वायरस महामारी की वजह से जनवरी-मार्च, 2020 के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आई है.