भारत के 8 सुनसान टर्मिनल जहां परिंदा भी पर नहीं मारता, लेकिन क्यों?

भारत के 8 सुनसान टर्मिनल जहां परिंदा भी पर नहीं मारता, लेकिन क्यों?

दो साल पहले बना जैसलमेर टर्मिनल जहां एक भी यात्री नहीं आया है

जैसलमेर:

राजस्थान के रेगिस्तानी शहर जैसलमेर में 111 करोड़ की लागत से बना हवाई अड्डा दो साल बाद भी यात्रियों की बाट जोह रहा है। हैरानी की बात है कि एक साल में तीन लाख यात्रियों की क्षमता रखने वाले इस एयरपोर्ट के दरवाज़े से अभी तक एक भी पैसेंजर नहीं गुज़रा है। वो एयरपोर्ट जिसके पार्किंग बे में तीन 180 सीटर नैरो-बॉडी जेट्स खड़े हो सकते हैं।

गौरतलब है कि 2009 से अब तक भारत ने आठ एयरपोर्ट पर 326 करोड़ रुपए खर्च किए हैं जिनमें से कहीं भी निर्धारित फ्लाइट्स नहीं आती हैं। ये सफेद हाथी प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक चेतावनी की तरह हैं जो लगातार बुनियादी ढांचे के विकास पर ज़ोर देते आ रहे हैं।

स्पाइसजेट लिमिटेड के सीईओ संजीव कपूर के मुताबिक सरकार को समझना चाहिए कि बस एयरपोर्ट बना देने भर से हमारा वहां जाना सुनिश्चित नहीं हो जाता। बता दें कि इस एयरलाइन ने दक्षिण भारत की मैसूर सिटी में सिर्फ इसलिए जाना बंद कर दिया क्योंकि वहां पर्याप्त मांग नहीं बन पा रही थी।

भारत के ये सुनसान पड़े टर्मिनल ज्यादातर कांग्रेस सरकार के राज में बनाए गए थे जिन्होंने 200 'no frills'(बिना ताम झाम) वाले एयरपोर्ट्स को बनाने की योजना बनाई थी ताकि ज्यादा लोग हवाई यात्रा कर सकें और सुदूर इलाकों को भी जोड़ा जा सके।

लेकिन खाली पड़े चेक-इन डेस्क और बैगेज हॉल से तो यही लगता है कि पीएम मोदी को एक सोची समझी रणनीति के बगैर किसी भी तरह का कदम उठाने से बचना होगा। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) द्वारा संचालित 100 में से आधे घरेलू उड़ान भरने वाले एयरपोर्ट पर इस साल एक भी निर्धारित फ्लाइट नहीं आई है। हालांकि इसमें से कुछ पुराने हवाईअड्डों को सिर्फ चार्टर्ड प्लेन के लिए ही बनाया गया है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

इस मामले पर AAI की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। वहीं 200 एयरपोर्ट की विकास योजना पर मोदी सरकार टिके रहेंगे या नहीं इस पर नागरिक विमानन मंत्रालय ने किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की है।