यह ख़बर 06 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

'आप' में फिर घमासान, पार्टी विधायक ने ही लगाए केजरीवाल पर आरोप

नई दिल्ली:

इस वक्त, जब आम आदमी पार्टी (आप) पूरी ताकत लगाकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने की हर कोशिश की काट करने में जुटी हुई है, उसी वक्त उसे अपने ही भीतर एक नए संकट का सामना करना पड़ रहा है।

आम आदमी पार्टी के ही रोहिणी विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश गर्ग ने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्ट लोगों को बढ़ावा देने तथा पार्टी कार्यकर्ताओं के दुख-दर्द को नहीं समझने के आरोप लगाते हुए उन्हें चिट्ठी लिखी है। राजेश गर्ग ने चिट्ठी में यह भी नसीहत दी है कि दिल्ली विधानसभा भंग करने की मांग करने से पहले अरविंद केजरीवाल को जनता के बीच जाकर रायशुमारी करवानी चाहिए थी।

'आप' विधायक राजेश गर्ग द्वारा पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को लिखा खुला पत्र इस प्रकार है...

आदरणीय अरविन्द केजरीवाल जी, वन्देमातरम्! आप सच को स्वीकारें और पार्टी मे पैसे वालों व भ्रष्ट लोगों को बढ़ावा देना बंद करें। आम आदमी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता के दुख-दर्द को भी समझने का प्रयास करें, जो वास्तव मे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए आया था, लेकिन न जाने क्यों, आप और आशुतोष जी भाजपा के संसद सदस्य व पंजाब केसरी अखबार के संपादक अश्विनी कुमार चोपड़ा के अरबों रुपये के जमीन घोटालों के बारे में चुप हैं?

आप दिल्ली में बार-बार विधानसभा भंग करने की जब मांग करते हैं, तो कार्यकर्ताओं पर, जनता पर और चुने हुए सभी दलों के विधायकों पर क्या-क्या गुजरती है, कभी आपने सोचा है? स्वराज नीति के अंतर्गत यदि आप दिल्ली में चुनाव हों या नहीं - इस बारे में कोई निर्णय लेने से पहले यदि जनता के बीच रायशुमारी करा लेते तो मतदाताओं में ज़्यादा अच्छा संदेश जाता... बाकी आपकी मर्ज़ी... हर समय जनता के बीच रहता हूं, और जनता की भावना से आपको अवगत कराना मेरा फर्ज था, जो हिम्मत करके मैंने पूरा कर दिया है। यदि यही हिम्मत 14 फरवरी, 2014 को विधानसभा सत्र के दौरान कर ली होती तो आज हम दिल्ली की जनता की सेवा कर रहे होते, क्योंकि सरकार न होने की वजह से कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।

दिल्ली में सरकार बननी चाहिए, चाहे किसी की भी बने। हम देशभक्त के रूप में ईमानदारी से सेवा करने आए थे, न कि सत्ता के लिए राजनीति करने आए थे! आज हमें दिल्ली की जनता को चुनाव की स्थिति से बाहर निकालकर 1,000 करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ से बचाने के बारे में सोचना चाहिए, न कि बार-बार चुनाव कराने की जिद्द पर अड़ने से... क्या हम विपक्ष में बैठकर अच्छा काम नहीं कर सकते? एक बात पर और ध्यान देने की जरूरत है कि यदि दोबारा चुनाव के बाद भी किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो हम जनता को क्या जवाब देंगे... यह भी सोचने का विषय है... बाकी आपकी मर्ज़ी...

सदैव आपके साथ, राजेश गर्ग / आप रोहिणी

अब इस खुले पत्र के बहुत-से मतलब निकाले जा सकते हैं, क्योंकि इसके बाद एक ओर जहां अरविंद केजरीवाल पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं सवाल आप के इस विधायक पर भी उठना लाज़िमी है।

अरविन्द केजरीवाल पर सवाल ये कि क्या वो अब भी कहेंगे कि उनके सभी विधायक दिल्ली विधानसभा भंग कराकर चुनाव चाहते हैं?

आप विधायक पर सवाल ये है कि परंपरागत रूप से बीजेपी की सीट माने जाने वाली रोहिणी सीट जो आप विधायक राजेश गर्ग ने 2013 में जीत ली थी क्या वो इस पर चुनाव में हार जाने के डर से चुनाव नहीं चाहते और पार्टी लाइन के खिलाफ बात कर रहे हैं?

जैसे ही ये मामला उछला तभी से आप विधायक राजेश गर्ग मीडिया की पहुंच से दूर हो गए इसलिए केवल इस बात की ही पुष्टि उनसे फ़ोन पर हो पाई कि खत उन्होंने ही लिखा है।

जबकि पार्टी ने कहा है कि उनको अभी तक कोई खत नहीं मिला है, ऐसे में विधायक से बात करने के बाद ही इस पर और इसमें उठाए मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया दे पाएंगे।

केजरीवाल को जिस तरह की चिट्ठी उनके विधायक ने लिख डाली है इस पर पार्टी के पास फजीहत से बचने के लिए इससे बढ़िया कोई जवाब ना था।

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अंत में सिर्फ एक बात कहना चाहूंगा कि ''अपनों से सावधान गैरों से निपट लेंगे'' ये बात आम आदमी पार्टी पर बिलकुल फिट बैठती है। अपने दो साल के जीवनकाल में पार्टी को उसके दुश्मनों ने उतना परेशान या नुकसान नहीं किया जितना उसके अपनों ने किया। फिर चाहे अपने विधायक हों, नेता हों या खुद अरविन्द केजरीवाल हों।