यह ख़बर 01 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बीमा विधेयक : मोदी सरकार के पहले बड़े कदम के खिलाफ एकजुट हुए विपक्षी दल

नई दिल्ली:

बीमा विधेयक के जल्द पारित होने को लेकर अभी तक अनिश्चितता बनी हुई हैं। कांग्रेस समेत नौ दलों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया है।

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, द्रमुक, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राजद ने उच्च सदन में सभापति हामिद अंसारी को इसे प्रवर समिति को भेजने का नोटिस दिया है। सरकार इसे सोमवार को राज्यसभा में लाना चाहती है।

महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का समर्थन करने वाले अन्नाद्रमुक ने भी इस पहल में नौ दलों का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की है, हालांकि उसने नोटिस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। वहीं इस विषय पर बीजद का रुख अभी स्पष्ट नहीं है।

विपक्षी दलों के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि सोमवार को सरकार द्वारा राज्यसभा में विवादास्पद बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पेश करते ही वे इसे प्रवर समिति को भेजने के संबंध में प्रस्ताव पेश करेंगे।

भाजपा नीत राजग को उच्च सदन में बहुमत प्राप्त नहीं है और कल संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की संभावना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा मौजूदा 26 प्रतिशत से 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। इसका अध्ययन स्थाई समिति कर चुकी है।

कांग्रेस दावा कर रही है कि यह विधेयक मूल रूप से उसका विचार है लेकिन अब इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं जो अत्यंत अनिश्चित हैं।

सरकार इसे जल्दी पारित कराना चाहती है, लेकिन विपक्षी नेता अभी इस बात को समझ नहीं पा रहे कि सरकार इसके लिए संयुक्त सत्र तो नहीं बुलाएगी।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, 'रास्ता निकालने के लिए प्रवर समिति सबसे अच्छा माध्यम है। प्रवर समिति एक मात्र रास्ता है।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस सैद्धांतिक रूप से विधेयक का विरोध नहीं कर रही, लेकिन चूंकि यह 60 पन्नों का विधेयक है और कई बदलाव किए गए हैं, इसलिए बेहतर होगा कि प्रवर समिति इसका अध्ययन करे।

इस मामले में कांग्रेस पर दोहरा रुख रखने के आरोप को खारिज करते हुए सिंघवी ने कहा कि भाजपा इस तरह का रुख अपना रही है। उन्होंने कहा कि विधेयक में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने संबंधी पैरे को स्थाई समिति ने खारिज कर दिया था जिसके अध्यक्ष भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा थे।

जब सिंघवी से पूछा गया कि कल पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने विधेयक का स्वागत किया था तो कांग्रेस इसका विरोध क्यों कर रही है तो उन्होंने कहा कि समर्थन करने का यह मतलब नहीं है कि हर कॉमा, पूर्ण विराम का समर्थन किया जाए। सिंघवी ने कहा कि वाम दल इसके पूरी तरह खिलाफ हैं लेकिन कांग्रेस का रख ऐसा नहीं है।

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सूत्रों के अनुसार मूल विधेयक में करीब 97 संशोधन लाए गए हैं और सरकार ने अध्ययन के लिए इसकी प्रति सदस्यों को वितरित कर दी है। पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक को मंजूरी दी थी।