केतन देसाई ने खुद को बताया बेकसूर, बोले- 'मेरे खिलाफ झूठा प्रचार हो रहा है'

केतन देसाई ने खुद को बताया बेकसूर, बोले- 'मेरे खिलाफ झूठा प्रचार हो रहा है'

केतन देसाई की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

एमसीआई के पूर्व अध्यक्ष और विवादों में रहे केतन देसाई का कहना है का कहना है कि दुनिया की सबसे बड़ी मेडिकल संस्था WMA का प्रेसीडेंट बनने के लिए उन्होंने कोई झूठ नहीं बोला और न ही तथ्यों को छुपाया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने भी देसाई के दावों का समर्थन किया है, लेकिन दस्तावेज़ बताते हैं कि देसाई के खिलाफ अब तक सारे केस खत्म नहीं हुए हैं।

पढ़ें सीनियर एडिटर हृदयेश जोशी से बातचीत-

सवाल- मीडिया में आई रिपोर्ट के बाद WMA आपके खिलाफ मामलों को लेकर उठे सवालों पर फिर से गौर कर रही है? आप क्या कहेंगे?

जवाब - सही तो ये होता कि इस सवाल का जवाब WMA देती। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। साल 2010 में एक बार फिर से स्वार्थी तत्वों ने मेरे खिलाफ घूसखोरी और आय से अधिक संपत्ति के झूठे आरोप लगाए। ये पूरी तरह से झूठ और गलत भावना से प्रेरित थे। अख़बारों में दो करोड़ रुपये के साथ मेरे रंगे हाथों पकड़े जाने की जो ख़बर छपी वह पूरी तरह से ग़लत है। मेरे और मेरे परिवार के पास कुल 53 हज़ार रुपये मिले। इसकी गहन जांच हुई और जांच में सामने आया कि मेरे और मेरे परिवार के पास हर पैसे का हिसाब था। सभी बड़ी जांच एजेंसियों ने मेरी धन-संपत्ति और जायदाद की जांच की है। 1990 से लेकर 2010 के बीच के वक्त में मुझे क्लीन चिट दी गई। 2012 में सीबीआई ने केस को बंद किया और अगले साल कोर्ट ने क्लोज़र रिपोर्ट को मंज़ूर किया।

सवाल - क्या ये सच नहीं है कि आपने WMA का प्रेसीडेंट बनने के लिए संस्था के आगे सारे तथ्य सही तरीके से पेश नहीं किए?

जवाब - WMA के संविधान के मुताबिक नेशनल मेडिकल एसोसिएशन इस पद के लिये उम्मीदवार का नाम भेजती है। इसी नियम के तहत IMA ने अक्टूबर 2009 में दिल्ली में हुई मीटिंग में मेरा नाम भेजा। किसी और ने उम्मीदवारी नहीं की और मैं निर्विरोध चुना गया। मुझे 2010 में कनाडा में कार्यभार संभालना था, लेकिन मुझे देश के बाहर नहीं जाने दिया गया और मेरी नियुक्ति को सस्पेंड कर दिया गया। फिर 2013 में ब्राज़ील में हुई मीटिंग में मुझ पर लगा सस्पेंशन हटा दिया गया। अप्रैल 2014 में जापान में हुई मीटिंग में मुझे दोबारा प्रेसीडेंट बनाने का फैसला हुआ। मैं ये बताना चाहता हूं कि मैं इन दोनों ही बैठकों में मौजूद नहीं था और इसलिए मेरी ओर से तथ्य गलत तरीके से पेश किए जाने का सवाल पैदा नहीं होता है।

सवाल -आरोप है कि आपने इस पद के लिए अपनी राजनीतिक ताकत और गुटबंदी का इस्तेमाल किया। क्या ये सच नहीं है?

जवाब - WMA कोई राजनीतिक संस्था नहीं है। ये एक एनजीओ है, जिसमें 110 देशों की मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य होते हैं। कोई राजनीतिक ताकत या जोड़तोड़ इन सदस्यों को प्रभावित नहीं कर सकती। यह कहना सच का मज़ाक उड़ाना होगा कि 110 देशों के सदस्यों को अपनी राजनीतिक ताकत इस्तेमाल कर मैं बिल्कुल निर्विरोध चुना गया।

सवाल -क्या ये सच नहीं है कि 2007 में इस पद के लिए चुने जाने पर नाकाम होने के बाद IMA ने WMA को भारी रकम अदा की। कहा जाता है कि वह 'मदद' आपको चुनने के लिए थी।

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जवाब - बाकी देशों की तरह ही IMA ने WMA को सब्सिक्रिप्शन फीस अदा की है। अमेरिका और जापान जैसे देश हमसे अधिक फीस अदा कर रहे हैं। WMA के अलावा IMA अन्य संस्थाओं जैसे WONCA, CMAAO या कॉमन वेल्थ मेडिकल एसोसिएशन का भी सदस्य है और समय समय पर वहां भी फीस अदा की जाती है। यह सदस्यता पाने का एक जायज़ और कानूनी तरीका है।