केंद्र के साढ़े तीन हजार अफसरों के खिलाफ जांच जारी, पोर्टल के जरिए जानकारी होगी जगजाहिर

पोर्टल में उन सब अफसरों के ब्योरे होंगे जिनके खिलाफ चल रही है रिश्वतखोरी या फर्जीवाड़े के मामले में विभागीय जांच

केंद्र के साढ़े तीन हजार अफसरों के खिलाफ जांच जारी, पोर्टल के जरिए जानकारी होगी जगजाहिर

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • केंद्र में 39 आईएएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप
  • सेंट्रल सेक्रेट्रिएट के 29 अफसरों के खिलाफ जांच जारी
  • प्रत्येक मामले की जांच में औसतन आठ साल लगते हैं
नई दिल्ली:

अफसरों के भ्रष्टाचार के खिलाफ अब कार्रवाई कहीं ज्यादा पारदर्शी होगी. अफसरों की विभागीय जांच को पूरी तरह पेपरलेस कर दिया गया है. कार्मिक मंत्रालय ने एक पोर्टल लांच किया है जिसमें सारी जानकारी ऑनलाइन रहेगी. फिलहाल ऐसे एक-दो नहीं, 3500 अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है.

कार्मिक मंत्रालय की मानें तो इस इस पोर्टल में उन सब अफसरों के ब्योरे मिल जाएंगे जिनके खिलाफ रिश्वतखोरी या फर्जीवाड़े के मामले में विभागीय जांच चल रही है. भारत सरकार ने इस पोर्टल के जरिए अब सारी कार्रवाई पेपरलेस कर दी है. यह सारी जानकारी आई क्लाउड पर रहेगी. कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है "प्रधानमंत्री का लक्ष्य है मैक्सिमम गवर्नेन्स और उसी के तहत पारदर्शिता लाई जा रही है."  

वैसे यह बात कुछ हैरान करती है कि कितने सारे अफसरों के खिलाफ ऐसी जांच चल रही है. केंद्रीय सतर्कता आयोग के आंकड़ों के मुताबिक ग्रुप ए के 3500 अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. ज़्यादातर के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला है. केंद्र में 39 आईएएस अफसरों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं. सेंट्रल सेक्रेट्रिएट के 29 अफसरों के खिलाफ जांच जारी है.

प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुलबे ने एनडीटीवी इंडिया से कहा  कि "केंद्र सरकार के मुताबिक़ 39 आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है. अभी सरकार के पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे यह पता लगाया जा सके कि राज्य सरकारों में कितने मामले चल रहे हैं, लेकिन इस ओर हम काम शुरू जरूर करेंगे."

सेंट्रल विजलेंस कमीशन (सीवीसी) की सचिव नीलम साहनी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया  "फिलहाल 3500 ग्रुप ए के अफसरों के खिलाफ अलग-अलग स्टेज पर जांच चल रही है." उनके मुताबिक सीवीसी की एक स्टडी के मुताबिक औसतन हर मामले में आठ साल लग जाते है. उनका कहना है कि "2015 में हमारी स्टडी के मुताबिक एक मामला 92 महीने लम्बा चला. 2016 में हमने कुछ फेरबदल कर इसे 72 महीने किया."  

नीलम साहनी ने कहा कि "कई बार होता था कि कोई न कोई दस्तावेज़ मामले से जो जुड़ा होता था वो खो जाता था तो सारी जांच खत्म हो जाती थी और पेंडिंग रहती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा."  

अभी तक यह सरकार 129 अफसरों को जबरन रिटायर कर चुकी है. ये वो लोग हैं जिन्हें सरकार पर बोझ माना गया. माना जा रहा है कि इस साल यह संख्या दुगुनी हो सकती है.


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