यह ख़बर 03 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला : ठेकेदारों को किया गया अग्रिम भुगतान

खास बातें

  • एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार पवार ने सिंचाई मंत्री रहे अपने विभाग के तय नियमों का उल्लंघन करते हुए तमाम ठेकों के भुगतान को मंजूरी दी।
नई दिल्ली:

हाल ही में जब अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तब उनका कहना था उनपर लगे 70 हजार करोड़ रुपये कि सिंचाई घोटाले में उनका हाथ नहीं है और वह इस पद से इस्तीफा इसलिए दे रहे हैं ताकि जांच निष्पक्ष की जा सके।

एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार पवार ने सिंचाई मंत्री रहे अपने विभाग के तय नियमों का उल्लंघन करते हुए तमाम ठेकों के भुगतान को मंजूरी दी। पवार ने 1999-2009 में बतौर सिंचाई मंत्री ठेकेदारों को अग्रिम भुगतान देने का आदेश दिया। यह अग्रिम भुगतान बांध और नहरों के निर्माण के संबंध में अधिकतर विदर्भ क्षेत्र में दिया गया।

वर्ष 2000 में सिंचाई विभाग ने अग्रिम भुगतान पर रोक लगा दी। सीएजी की रिपोर्ट ने राज्य में आरंभ हुई ऐसी प्रथा की कड़ी आलोचना की। रिपोर्ट ने कहा कि अग्रिम भुगतान ने ठेकेदारों को गैरजरूरी मुनाफा कमवाया।

अपने नियमों के खिलाफ सिंचाई विभाग ने 2008 से 2009 में चार ठेकेदारों को गैरजरूरी अग्रिम भुगतान किया। यह सारे भुगतान तत्कालीन सिंचाई मंत्री और उपमुख्यमंत्री रहे अजित पवार के आदेश पर दिए गए। इन सारे दस्तावेजों की प्रतिलिपि एनडीटीवी के पास मौजूद है।

वे कार्यकर्ता जिन्होंने इस घोटाले का पर्दाफाश किया है कि उनका कहना है कि यह सब अग्रिम भुगतान वास्तविक्ता में पूरी परियोजना में दी जानी वाली घूस थी। यह घूस नेताओं और अधिकारियों को दी जाती है। यह भी स्पष्ट है कि अधिकतर ऐसे ठेकेदार कांग्रेस-एनसीपी नेताओं के करीबी हैं।

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चार प्रमुख प्रोजेक्ट जहां पर इस प्रकार का अग्रिम भुगतान किया गया वे इस प्रकार हैं- धापेवाड़ा बैराज निर्माण, विदर्भ में पूर्णा बैराज, विदर्भ में वघाड़ी बैराज, विदर्भ में पेढ़ी का प्रोजेक्ट।