यह ख़बर 09 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत के नाम 100वें अंतरिक्ष मिशन का सफल कीर्तिमान

खास बातें

  • श्रीहरिकोटा से जब पीएसएलवी-सी21 अपने साथ दो विदेशी उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस ऐतिहासिक सफलता को देखने के लिए वहां मौजूद थे।
श्रीहरिकोटा:

भारत ने रविवार को स्वदेशी पीएसएलवी-सी21 रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ ही 100वें अंतरिक्ष मिशन का सफल कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। इस रॉकेट ने दो विदेशी उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित किया

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जब पीएसएलवी-सी21 अपने साथ दो विदेशी उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस ऐतिहासिक सफलता को देखने के लिए वहां मौजूद थे।

यह रॉकेट अपने साथ फ्रांस के उपग्रह एसपीओटी-6 और जापान के अंतरिक्ष यान प्रॉइटेरेस को लेकर रवाना हुआ और प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद उन्हें उनकी कक्षा में स्थापित भी कर दिया। यह प्रक्षेपण सुबह 9 बजकर 51 मिनट पर किया जाना था, लेकिन 51 घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद उसमें दो मिनट का विलंब हो गया।

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर तेज आवाज के साथ फ्रांसीसी उपग्रह को लेकर अपनी 22वीं उड़ान पर रवाना हुआ। कुल 720 किलोग्राम वजन वाला यह फ्रांसीसी उपग्रह भारत द्वारा किसी विदेशी ग्राहक के लिए प्रक्षेपित सर्वाधिक वजन वाला उपग्रह है।

भारत के 100वें अंतरिक्ष मिशन को शानदार सफलता करार देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा की श्रेष्ठता का गवाह है। मिशन नियंत्रण केंद्र से सिंह ने पीएसएलवी-सी21 को अपने साथ दो विदेशी उपग्रहों को लेकर जाते देखा।

उन्होंने कहा, इसरो के 100वें मिशन के साथ ही आज का प्रक्षेपण हमारे देश की अंतरिक्ष क्षमताओं के लिए मील का एक पत्थर है। सिंह ने कहा, भारतीय प्रक्षेपक वाहन से इन उपग्रहों का प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की उत्कृष्टता का गवाह है और यह देश के नवोन्मेष तथा कौशल को समर्पित है।

उन्होंने फ्रांस के ईएडीएस एस्ट्रियम और जापान के ओसाका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को बधाई दी, जिनके उपग्रह क्रमश: एसपीओटी 6 तथा प्रोइटेरेस को इसरो के पीएसएलवी ने अपनी-अपनी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

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मनमोहन ने कहा, भारत को अपने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों पर गर्व है, जिन्होंने विश्व-स्तरीय उपकरण बनाने तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए तमाम विषमताओं का का सामना कर उन पर जीत हासिल कर ली।  गौरतलब है कि भारत इस साल अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के 50 साल भी पूरे कर रहा है।