भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की कोशिशें की तेज, चीन मान सकता है बुरा

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की कोशिशें की तेज, चीन मान सकता है बुरा

नई दिल्ली:

भारत ने अपनी आधुनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली ब्रह्मोस वियतनाम को बेचने की कोशिशें तेज कर दी हैं। वियतनाम के अलावा 15 और बाजारों पर भी भारत की नजर है। विशेषज्ञों का मानना है कि नई दिल्ली का ये प्रयास उसकी चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता को लेकर चिंता को जाहिर करता है।

कवायद को बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है
भारत रूस के सयुक्त प्रयासों से बनी सुपरसॉनिक मिसाइल ब्रह्मोस बेचने की कवायद को बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है जहां सैन्य हथियारों का सबसे बड़ा आयतक, भारत नए रक्षा साझेदार ढूंढने के साथ साथ राजस्व बढ़ाने पर जोर दे रहा है। रायटर्स द्वारा देखे गए सरकारी नोट के मुताबिक, सरकार ने मिसाइल बनाने वाली कम्पनी ब्रह्मोस एरोस्पेस से मिसाइल मंगाए हैं जिससे कि पांच देशों को मिसाइल बेचने के काम में तेजी लाई जा सके जिसमें वियतनाम प्रमुख है। बाकी देश इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चीली और ब्राजील हैं।  

 

अब चीन की आशंकाओं से प्रभावित नहीं होगा भारत
भारत के पास 2011 से हनोई की ब्रह्मोस खरीदने का आवेदन पड़ा है।  लेकिन चीन आवाज की गति से तीन गुना तेज और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को अस्थिरता पैदा करने वाले हथियार के तौर पर देखता है। भारत इसी के मद्देनजर चीन की नाराजगी की आशंका के चलते हनोई के साथ सौदा करने से हिचकता रहा है। वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश नीति समिति के एशिया रक्षा कार्यक्रम के निदेशक जेफएम स्मिथ का कहना है कि भारत के नीति निर्माताओं को लंबे समय तक इस बात की आशंका रही है कि अमेरिका यो हनोई से किसी प्रकार का रक्षा सहयोग कहीं चीन की ओर से कोई आक्रमक या अनचाही प्रतिक्रिया की वजह न बन जाए। पीएम मोदी और उनके सलाहकारों ने इस सोच को बदल दिया है जिससे अब भारत के अमेरिका, जापान और वियतनाम के साथ मजबूत संबंधों की वजह से चीन से मजबूती से बर्ताव कर सकता है।

बदल रहा है भारत का रक्षा दृष्टिकोण
परमाणु हथियार कार्यक्रम के चलते दशकों तक अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बाद भारत निर्यात पर ध्यान लगाने की नीति अपना
पाया है। इसी हफ्ते पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की वाशिंगटन मुलाकात के बाद भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था में शामिल हुआ है। ब्रह्मोस की 290 किमी की दूरी तक की मारक क्षमता है। भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था  में शामिल होने से उसके दूसरी अप्रसार समूह एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) में शामिल होने की संभावना को बल मिला है जबकि चीन उसका प्रभावी विरोध करता आ रहा है। दोनों समूहों में शामिल होने से
भारत की तकनीकी अनुसंधान में ज्यादा दखल और पहुंच हो जाएगी।

वियतनाम को ब्रह्मोस से सुसज्जित युद्धपोत बेचने पर हो रहा है विचार
भारत सरकार वियतनाम को केवल मिसाइल के बजाय ब्रह्मोस से सुसज्जित युद्धपोत बेचने का प्रस्ताव देने के बारे में विचार कर रही है। रायटर्स के एक नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया। भारतीय युद्धपोतों की आठ से सोलह ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने की क्षमता है जबकि छोटे जहाज दो से चार मिसाइल रख सकते हैं।


 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com