'धड़कते दिल' का सफर आसान नहीं रहा दिल्ली की सड़कों पर...

नई दिल्ली : इसी साल 3 जनवरी को गुड़गांव के सेक्टर-44 से चली एक एम्बुलेंस को एक तय समय में दिल्ली में ओखला इलाके के अस्पताल तक पहुंचना था, क्योंकि एम्बुलेंस में एक धड़कता दिल था, जो 16 साल के एक लड़के के शरीर में ट्रांसप्लाट होने जा रहा था।

गुड़गांव और दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस ने इसके लिए एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया, जिस पर दोनों राज्यों की पुलिस की गाडियां उसे एस्कॉर्ट करती चलीं, और पूरे रूट पर वीडियो रिकार्डिंग भी की जा रही थी, जिससे एम्बुलेंस को राइट लेन के जरिये बिना किसी रुकावट गंतव्य तक पहुंचा दिया जाए। तय किया गया था कि अगर कोई कार एम्बुलेंस का रास्ता रोकती है तो तस्वीरों के जरिये उसके रजिस्ट्रेशन नंबर की पहचान कर उसका चालान किया जाएगा।

कुछ ऐसा ही हुआ... पुलिस की सारी तैयारियों पर पब्लिक पानी फेरने की कोशिशें करती रही। चेतावनी देने के बाद भी एक कार ने राइट लेन नहीं छोड़ी। आखिर में एम्बुलेंस के ड्राइवर ने भीतर से हाथ हिलाया, और तब जाकर वैगन-आर ने रास्ता छोड़ा। आगे सभी चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात थे, और रेड लाइट्स को या तो मैनुअल पर, या ब्लिंक पर कर दिया गया था।

रास्ते के तमाम कट्स पर एम्बुलेंस आते ही ट्रैफिक रोक दिया गया, लेकिन तभी एक और कार एम्बुलेंस के आगे आ गई। इसे बाईं तरफ से ओवरटेक करना पड़ा। हमारी एम्बुलेंस के साथ एक बैकअप एम्बुलेंस भी थी।

घिटोरनी मेट्रो स्टेशन के पास फिर एक और कार साइड नहीं देने पर अड़ गई, और फिर एम्बुलेंस ड्राइवर ने हाथ हिलाकर एम्बुलेंस आगे निकाली। स्टेशन की छाया में इसका नंबर भी नहीं दिखा। 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार को छू रही एम्बुलेंस के ड्राइवर को कई बार हेडलाइट जलाकर साइड मांगनी पड़ी।

फिर एक वीआईपी नंबर वाली मर्सिडीज कार रास्ते में आई। इस तरह करीब 25 गाड़ियां एम्बुलेंस के रास्ते में आईं, जिनमें से रजिस्ट्रेशन नंबर की पहचान के बाद चार गाड़ियों के चालान किए गए। ट्रैफिक पुलिस के स्पेशल कमिश्नर मुक्तेश चंद्रा के मुताबिक सभी गाड़ियों का 2,000 रुपये का कोर्ट चालान किया गया है, और साथ ही दिल्ली के करीब 300 अस्पतालों को पत्र लिखकर कहा गया है कि अगर उनके अस्पतालों की एम्बुलेंस को कोई राइट लेन पर साइड नहीं देता, तो वे गाड़ी की तस्वीर लेकर उन्हें जानकारी दें, लेकिन अभी तक एक भी अस्पताल इस पर पहल करता हुआ नहीं दिख रहा है।

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पुलिस के मुताबिक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अभी तक चार बार एम्बुलेंस को निकाला गया है, लेकिन इस पूरे किस्से में राहत की बात यह रही कि पुलिस की इस बेहतरीन कोशिश से एम्बुलेंस ने 29 किलोमीटर का सफर करीब 22 मिनट में तय कर लिया। इस बार तो ज़रूरतमंद को दिल मिल गया, लेकिन दिल्ली की सड़कों पर चलने वालों में दरियादिली कब आएगी, यह एक बड़ा सवाल है।