J&K: एनकाउंटर में मारे गए बेटे के लिए कब्र खोद रहा पिता, कहा- 'शव का इंतजार कर रहा हूं...'

पहले बयान में पुलिस ने खुद को मुठभेड़ से दूर किया और कहा कि उनके पास तीनों के आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

J&K: एनकाउंटर में मारे गए बेटे के लिए कब्र खोद रहा पिता, कहा- 'शव का इंतजार कर रहा हूं...'

श्रीनगर:

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के सोनमर्ग में एक अज्ञात स्थान पर अपने बेटे को पुलिस द्वारा दफनाए जाने के 4 दिन बाद दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के एक शख्स ने अपने किशोर बेटे के शव को वापस पाने की उम्मीद में दूसरी कब्र खोदी है. इनका बेटा श्रीनगर में हुई एक विवादित मुठभेड़ में दो युवाओं के साथ मारा गया था.

सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि अतहर मुश्ताक और उसके "सहयोगी" आतंकवादी थे जो श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर एक बड़ी आतंकी हमले की योजना बना रहे थे. मेजर जनरल एचएस साही, जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC)किलो फोर्स “हमें नियमित इनपुट मिल रहे थे कि आतंकवादी किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे. कल, जब हमें सूचना मिली, हमने इमारत को बंद कर दिया और उनसे आत्मसमर्पण करने की अपील की. एक आतंकवादी ने बाहर आने की कोशिश की लेकिन उसके साथियों ने गोलीबारी का सहारा लिया और सुरक्षा बलों की ओर हथगोले फेंके."

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लेकिन अतहर मुश्ताक के परिवार का दावा है कि वह निर्दोष है और मुठभेड़ का नाटक किया गया है, मुश्ताक ने कब्र खोदते हुए कहा, "मैं उसके शव के लौटने का इंतजार करूंगा, ताकि उसे हमारे पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जाए." बुधवार को श्रीनगर के बाहरी इलाके में लवेपोरा में ज़ुबैर अहमद और एजाज़ अहमद के साथ 11 वीं कक्षा के छात्र अतहर मुश्ताक की हत्या कर दी गई थी. सेना ने कहा कि मुठभेड़ स्थल से एक एके असाल्ट राइफल और दो पिस्तौल बरामद की गई है.

सेना ने यह भी कहा कि उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव की अनदेखी की और गोलीबारी का सहारा लिया और सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके. हालांकि, युवकों के परिजनों का आरोप है कि इसका एनकाउंटर किया गया था.  मारे गए युवकों में से दो पुलिस परिवार के हैं. 24 वर्षीय एजाज एक पुलिस हेड कांस्टेबल का बेटा है और 22 वर्षीय जुबैर के दो भाई भी पुलिसकर्मी हैं.

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एजाज के परिवार ने दावा किया है कि वह पिछले एक महीने से बिस्तर पर आराम कर रहे थे क्योंकि वह पीठ की गंभीर समस्या से पीड़ित थे. इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस भी अपने बयानों में एक नहीं रही है. पहले बयान में पुलिस ने खुद को मुठभेड़ से दूर किया और कहा कि उनके पास तीनों के आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

लेकिन दो दिन बाद उन्होंने दावा किया कि तीनों युवक वास्तव में "आतंकवादी सहयोगी" थे.  पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि "पुलिस सभी कोणों से मामले की जांच कर रही है."

श्रीनगर एनकाउंटर के कुछ ही दिनों बाद पुलिस ने एक आर्मी कैप्टन और दो अन्य लोगों के खिलाफ शोपियां में तीन मजदूरों की हत्या के आरोप में आरोप पत्र दायर किया, उन्हें जुलाई में पाकिस्तानी आतंकवादी के रूप में पेश किया गया था. सेना द्वारा आदेशित कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने भी ऐसे संकेत दिए कि उनके सैनिकों ने निर्दोष लोगों की हत्या की है.

मुठभेड़ के बाद स्थानीय लोगों और परिवार ने आरोप लगाया कि निर्दोष लोग मारे गए लेकिन सेना और पुलिस ने आरोपों से इनकार किया. राजौरी के तीन चचेरे भाई जुलाई में शोपियां में मजदूर के रूप में काम करने आए थे. उन्हें एक किराए के आवास से उठाया गया था और एक सेब के बगीचे में एक मुठभेड़ में मार दिया गया था.

"मुठभेड़" के बाद सेना के एक ब्रिगेडियर ने दावा किया था कि मारे गए आतंकवादी शोपियां में एक बड़ी आतंकी हमले की योजना बना रहे थे. उन्होंने मुठभेड़ स्थल पर हथियारों की बरामदगी का भी दावा किया. बाद में हुई जांच में पाया गया कि सैनिकों द्वारा हत्याओं को जायज ठहराने और उन्हें आतंकवादियों के रूप में पेश करने के लिए तीन मजदूरों के शवों पर हथियार रखे गए थे.

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