जम्मू कश्मीर के DGP का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने कहा- राज्य बिना डीजीपी के नहीं रह सकता

जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैध को हटाए जाने और नए की नियुक्ति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. 

जम्मू कश्मीर के DGP का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने कहा- राज्य बिना डीजीपी के नहीं रह सकता

एसपी वैध (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैध को हटाए जाने और नए डीजीपी की नियुक्ति का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से डीजीपी की नियुक्ति के लिए UPSC की क्लीयरेंस की छूट मांगी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति के लिए UPSC को पैनल की लिस्ट भेजी जानी होती है. राज्य डीजीपी के बिना नहीं रह सकता और डीजीपी एसपी वैद्य की जगह किसी अन्य को डीजीपी नियुक्त किया जाना है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को सुनवाई की अपील की, जिस पर कोर्ट ने कहा कि देखेंगे.

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सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति के लिए UPSC को पैनल की लिस्ट भेजी जा चुकी है लेकिन उसमें वक्त लगेगा. राज्य डीजीपी के बिना नहीं रह सकता और डीजीपी एसपी वैद्य की जगह किसी अन्य को डीजीपी नियुक्त किया जाना है. फिलहाल एक्टिंग डीजीपी नियुक्त करना जरूरी है.

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इससे पहले 3 जुलाई को देश भर में पुलिस सुधार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए बडे दिशा निर्देश थे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वो कहीं भी एक्टिंग DGP नियुक्त नहीं करेंगे. ये कदम उठाना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है राज्य पद रिक्त होने से तीन महीने पहले UPSC को टॉप IPS अफसरों की सूची भेजेंगे. राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं. दरअसल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल होगा.

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AG के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया था कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को एक्टिंग DGP नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित DGP बना देते हैं क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं. सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्रा, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए UPSC से अनुमति ली है जबकि 25 राज्यों ने ये नहीं किया।पुलिस सुधार पर दिया गया आदेश लागू नहीं करने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है।अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी. साल 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को लागू नहीं किया गया है. उपाध्याय ने मॉडल पुलिस बिल 2006 को भी लागू करने की मांग की.

पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल का मसौदा तैयार किया था. उपाध्याय के अलावा पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी 2014 में अवमानना याचिका दायर की थी.  पूर्व डीजीपी ने 1996 में जनहित याचिका दायर की थी. जिसके कारण पुलिस सुधार बिल को तैयार किया गया था. अदालत ने प्रकाश सिंह और दूसरे डीजीपी एनके सिंह की याचिका पर 2006 में निर्देश दिया था. इसमें राज्य सुरक्षा अयोग का गठन किया जाना भी शामिल था.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद को हटा दिया गया है. अब उनकी जगह दिलबाग सिंह सूबे के नए डीजीपी होंगे, जो 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल डीजीपी प्रिज़न हैं. वहीं एसपी वैद को अब ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बना दिया गया है. हाल ही में पुलिसकर्मियों के परिवारवालों को आतंकियों से छुड़ाने के लिए एक आतंकी के पिता को छोड़ा गया था इसके बाद से पुलिस विभाग के आला अधिकारियों में फेरबदल किया गया, इससे पहले मंगलवार को एसपी वैद के डिप्टी अब्दुल गली मीर की जगह डॉ बी श्रीनिवास को लाया गया है.

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