जम्मू-कश्मीर में उपद्रवियों की बदतमीजी की इंतहा के बावजूद संयम नहीं खोते जवान

खास बातें

  • यह वीडियो बडगाम का है
  • कुछ स्थानीय लोग कर रहे हैं हमला
  • लोगों ने सुरक्षाबलों को जबरन पोलिंग स्टेशन छोड़ने को मजबूर किया
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर से पिछले कुछ दिनों से लगातार हिंसा और उत्पात की तस्वीरें सामने आ रही हैं. उपद्रवियों और पत्थरबाजों का सामना हमारे सुरक्षाबल किस संयम के साथ करते हैं उसकी एक बानगी इन तस्वीरों में दिखाई दे रही है. वीडियो में श्रीनगर में रविवार को चुनाव के बाद ड्यूटी से लौट रहे सीआरपीएफ जवान दिखाई दे रहे हैं, जिन पर कुछ लोग हमला कर रहे हैं. उन्हें पैरों से मारा जा रहा है. उनके सिर पर हमला कर हेलमेट फेंक दिया गया, लेकिन इन सबके बीच जवान अपना संयम नहीं खोते और चुपचाप चलते रहते हैं. यह वीडियो बडगाम का है. यह वह सच बताता है जिससे हम अपने आपको अक्सर बेखबर रखते हैं. सोशल मीडिया में यह वीडियो वायरल हो गया है. सुरक्षा बलों पर हमला करने वाले कोई आतंकवादी नहीं, बल्कि वहां के कुछ स्थानीय लोग हैं, जिन्होंने सुरक्षा बलों को जबरन एक पोलिंग स्टेशन छोड़ने को मजबूर किया.

उल्लेखनीय है कि घाटी पिछले तीन दशक से अलगाववाद और आतंकवाद की मार झेल रही है, लेकिन बहिष्कार की कॉल के बावजूद लोग वोट देते रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. किसी राजनीतिक पार्टी से यह जवाब देते नहीं बन रहा कि आखिर श्रीनगर जैसे इलाके में वोटिंग सिर्फ 7.14 ही क्यों हुई.

गृह मंत्रालय बता रहा है कि चुनाव के दिन 8 लोगों की मौत हुई, 150 लोग घायल हुए. 24 ईवीएम लूटी गईं और 2 स्कूल जलाए गए. इसके साथ ही 120 पोलिंग बूथ में तोड़-फोड़ हुई. कुल 190 हिंसक वारदातें हुईं. यह इशारा है कि कश्मीर में माहौल पहले से बिगड़ा है. अब इसे लेकर गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग आमने-सामने हैं. मंत्रालय का कहना है कि उसने आयोग से इस वक्त चुनाव कराने को मना किया था. आयोग याद दिला रहा है कि अप्रैल में चुनाव करा ही लिए जाने थे और सरकार उसे निर्देश नहीं दे सकती. इसके अलावा बहस इस पर भी जारी है कि घाटी के इस बिगड़े माहौल का जिम्मदार कौन है?

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सब राजनीतिक दलों को मिलकर सोचना चाहिए कि आख़िर घाटी में माहौल किस तरह बेहतर बनाया जा सके, लेकिन कुछ नेता ऐसे बयान देते हैं, जो वहां का माहौल खराब करते हैं. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि आज तक एक दिन में इतनी हिंसा घाटी में नहीं हुई. वहां की राज्य सरकार फेल हो चुकी है. जबकि पीएमओ के मंत्री जितेंद्र सिंह मानते हैं कि घाटी में पीछे 60 साल से कुशासन की वजह से यह हो रहा है. पिछली केंद्र सरकार ने कश्मीर पर जो वार्ताकार बनाए थे, उनकी रिपोर्ट भी अभी तक संसद में पेश नहीं की है. हम तो पिछले दो सालों से वहां हैं, लेकिन कश्मीर के हालत पहले से ही खराब हैं.  श्रीनगर के 38 बूथों में चुनाव आयोग ने दोबारा पोलिंग का ऐलान किया है, लेकिन क्या इस बार लोग बाहर आकर वोट करेंगे?

इससे पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा था कि एक साल में एक 'बदला हुआ' कश्मीर नजर आएगा, भले ही यह बदलाव कैसे भी हो. राजनाथ ने कहा, 'आप एक साल में बदला हुआ कश्मीर देखेंगे. इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह बदलाव कैसे आएगा, एक बात निश्चित है कि कश्मीर में एक साल में बदलाव आएगा.' उन्होंने ने मंगलवार रात मुंबई में आयोजित 'लोकमत महाराष्ट्रियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स' में कहा कि कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को पथराव करने वालों का समर्थन नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह कश्मीर में सुरक्षा बलों को उनका कर्तव्य निभाने से रोकने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटने संबंधी सैन्य प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान से पूरी तरह सहमत हैं.


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