यह ख़बर 18 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

जाटों का आंदोलन 14वें दिन भी जारी

खास बातें

  • आरक्षण की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश में दिल्ली-लखनऊ रेलमार्ग अवरुद्ध कर रहे जाट समुदाय का आंदोलन शुक्रवार को लगातार 14वें दिन भी जारी रहा।
अमरोहा:

सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश में दिल्ली-लखनऊ रेलमार्ग अवरुद्ध कर रहे जाट समुदाय का आंदोलन शुक्रवार को लगातार 14वें दिन भी जारी रहा। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने संवाददाताओं से कहा, "जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस बार हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।" मलिक ने कहा कि आंदोलनकारी विभिन्न रेलमार्गों पर धरना दे रहे हैं। अभी 20 मार्च तक किसी नए रेलमार्ग को जाम नहीं किया जाएगा लेकिन अगर केंद्र सरकार ने निर्धारित मोहलत के तक आरक्षण पर टालमटोल जारी रखी तो नए रेलमार्ग अवरुद्ध करने के साथ दिल्ली की तरफ जाने वाले विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम किया जाएगा। आंदोलनरत जाट समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक से मिला था। सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तीन दिन का समय मांगा था। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले जाट समुदाय के सैकड़ों लोग गत पांच मार्च से लगातार अमरोहा के काफूरपुर रेलवे स्टेशन के पास दिल्ली-लखनऊ रेलमार्ग पर धरना दे रहे हैं। जाटों का आंदोलन अब उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी फैल गया है। जाट समुदाय के लोग केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) में शामिल करके आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे हैं। जाटों के आंदोलन से 500 से ज्यादा रेलगाडियों के परिचालन पर असर पड़ा है और अब तक रेलवे को करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।


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