जेपी मामले में खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं, मामले को फिर से इलाहाबाद NCLT भेजा

जेपी मामले में खरीदारों को फिलहाल राहत नहीं मिली है.

जेपी मामले में खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं, मामले को फिर से इलाहाबाद NCLT भेजा

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

जेपी मामले में खरीदारों को फिलहाल राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने जेपी मामले को फिर से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) की इलाहाबाद पीठ को भेज दिया है. अब NCLT ही आगे की कार्रवाई तय करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेपी के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई चलती रहेगी. 180 दिनों की लिमिटेशन आज से शुरु होगी. IPR इसके लिए फिर से नीलामी की बोली लगाई. हालांकि इसमें खरीददार भी हिस्से ले पाएंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों को पैसा दिलाने का भरोसा दिलाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स से हज़ार करोड़ में से कम से कम 600 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था. हज़ार करोड़ रुपये जमा करने में असमर्थता जता चुकी JP के वकील फली एस नरीमन ने अपने मुवक्किल से निर्देश लेने की बात कही. JP का कहना था कि पहले कोर्ट उन्हें NCLT इलाहाबाद में चल रहे मुकदमे को जल्द पिपटाने के आदेश दे तभी वो इतनी बड़ी रकम जमा कर सकते हैं. लेकिन कोर्ट का कहना था कि पहले रकम जमा कराई जाय. सुनवाई में कोर्ट ने जेपी असोसिएट्स को 15 जून तक 1000 करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था.

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 15 जून तक पैसा जमा कराने के बाद इनसॉल्वी प्रोसेंडिंग पर लगी रोक पर विचार किया जा सकता है. इससे पहले जेपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 750 करोड़ रुपये जमा करा दिए गए हैं. जेपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि कमिटी ऑफ क्रेडिटर को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह उनके ऑफर को स्वीकार करे. जेपी इन्फ्रा कंपनी की संपत्ति नहीं बेची जानी चाहिए.
 
वहीं, बायर्स की ओर से कहा गया था कि बैंक की तरह उन्होंने भी पैसे निवेश किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन फ्लैट खरीददारों को फ्लैट चाहिए उनके बारे में बाद में देखेंगे, पहले हम रिफंड के मामले को लेकर चिंतित हैं और उनके मामले को देखेंगे. इससे पहले जेपी असोसिएट्स की ओर से बताया गया था कि उनके 31 हजार फ्लैट खरीददारों में से केवल 8 फीसदी लोग यानी 2800 लोग ऐसे हैं जिन्होंने रिफंड का विकल्प चुना है, जबकि अन्य ने मकान का विकल्प चुना है.

पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों के हितों को सबसे ऊपर बताते हुए जेपी को 2000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था.


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