झारखंड में भूख से 40 साल के रिक्शाचालक की मौत, राशन कार्ड के लिए काट रहा था चक्कर

मृतक वैद्यनाथ दास की उम्र करीब 40 साल थी और वह बहुत गरीब था और इसे किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा था.

झारखंड में भूख से 40 साल के रिक्शाचालक की मौत, राशन कार्ड के लिए काट रहा था चक्कर

खास बातें

  • धनबाद के झरिया में भूख से 40 साल के वैद्यनाथ दास की मौत
  • रिक्शा चलाकर 7 लोगों के परिवार का गुज़ारा करता था
  • वैद्यनाथ को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला
रांची:

झारखंड में भूख से एक और मौत का मामला सामने आया है. झारखंड के सिमडेगा में 11 साल की बच्ची की भूख से हुई मौत पर अभी बवाल थमा भी नहीं था कि झारखंड के ही धनबाद ज़िले में एक 40 साल के रिक्शा चालक की मौत पर विवाद खड़ा हो गया है. परिवार का आरोप है कि रिक्शा चालक की मौत भूख से हुई है. धनबाद ज़िले के झरिया इलाके में इस बार भूख की आग 40 साल के बैद्यनाथ दास की मौत की वजह बनी. परिवार के इस आरोप ने राज्य में भूख से हो रही मौत के सवाल पर बहस तेज़ कर दी है. रिक्शा चलाकर गुज़ारा करने वाले बैद्यनाथ दास राशन कार्ड बनवाने के लिए तीन साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे. परिवार का कहना है कि वो भूख बर्दाश्त नहीं कर पाए. उनकी पत्नी पार्वती देवी ने कहा, "परिवार में खाने की काफी दिक्कत हो गयी है. हमें राशन मिलना बंद हो गया था. बहुत कोशिश की उन्होंने लेकिन वो राशन कार्ड नहीं बनवा पाए. हमें 3-4 साल से सस्ता राशन नहीं मिला है."

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बैद्यनाथ दास के बेटे रवि कुमार के मुताबिक राशन कार्ड उनके बड़े चाचा के नाम बना था जो उनके देहांत के बाद खत्म हो गया. इसके बाद सात लोगों के परिवार के लिए सस्ता राशन मिलना मुहाल हो गया. रवि कुमार कहते हैं कि घर में खाने के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं था. स्थानीय प्रशासन बैद्यनाथ दास के परिवार को 20,000 रुपये की मदद दे रहा है. लेकिन वो इसे भूख से नहीं, बीमारी से हुई मौत बता रहा है.

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झारखंड के ही सिमडेगा ज़िले में इससे पहले हुई 11 साल की एक बच्ची की मौत पर जांच बिठाने वाले केन्द्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने एनडीटीवी से कहा है कि झारखंड में गरीबों तक सस्ता अनाज नहीं पहुंचने को लेकर आ रही खबरों की केन्द्र सरकार के अधिकारियों की टीम तहकीकात कर रही है. पासवान ने कहा, "हमारी फैक्ट फाइन्डिंग टीम ये पता कर रही है कि क्या भारत सरकार की तरफ से झारखंड सरकार को पर्याप्त अनाज दिया गया या नहीं? और क्या राज्य सरकार की तरफ से स्थानीय राशन डीलरों के पास ज़रूरत के मुताबिक अनाज पहुंच पा रही है या नहीं? खतरा बस यही है - जांच के नाम पर लीपोपोती न चलती रहे और भूख से मरने वालों की संख्‍या बड़ी न होती जाए.


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