कैग रिपोर्ट में खुलासा, इस वजह से झारखंड में नहीं आना चाह रहे निवेशक

झारखंड ने साल 2001 से 2016 के बीच 3.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एमओयू साइन किए गए लेकिन उसका महज 3.8 फीसदी ही हकीकत में तब्दील हुआ.

कैग रिपोर्ट में खुलासा, इस वजह से झारखंड में नहीं आना चाह रहे निवेशक

बिजली और पानी कनेक्शन जैसी बुनियादी आवश्यकताएं राज्य सरकार निवेशकों को नहीं दे पाई...

रांची:

झारखंड ने साल 2001 से 2016 के बीच 3.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उसका 'महज 3.8 फीसदी ही हकीकत में तब्दील हुआ'. इस नाकामी के कई कारण हैं, जिसमें कानून-व्यवस्था की कमी, बिजली और पानी कनेक्शन की कमी प्रमुख है. ऐसा कैग की रिपोर्ट में कहा गया है.

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने शनिवार को झारखंड विधानसभा के पटल पर रखी अपनी रिपोर्ट में कहा, "इस्पात क्षेत्र में कुल 1.60 लाख करोड़ रुपये का निवेश राज्य में नहीं हो सका, क्योंकि उन्हें बिजली, पानी मुहैया नहीं करवाया गया, साथ ही कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति भी एक बड़ी समस्या है."

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रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "झारखंड व्यापार करने में आसानी के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है, लेकिन औद्योगिकीकरण की जमीनी हकीकत से इसका कोई संबंध नहीं है." रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड की स्थिति ओडिशा और छत्तीसगढ़ से भी बुरी है. ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक भी एमओयू रद्द नहीं हुआ है, लेकिन झारखंड में 79 एमओयू में से 38 रद्द हो चुके हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन एमओयू के रद्द होने का मुख्य कारण सिंगल विंडो सिस्टम की कमी है, राज्य सरकार में इच्छाशक्ति की कमी और नक्सलवाद से संबंधित घटनाएं हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 24 में से 22 जिले नक्सलवाद से प्रभावित है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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