झारखंड : जब स्कूल में अचानक पहुंचे यह पुलिस अफसर बन गए टीचर!

देवघर में एसडीपीओ की पाठशाला, साइबर अपराध को लेकर किया छात्रों को किया जागरूक

झारखंड : जब स्कूल में अचानक पहुंचे यह पुलिस अफसर बन गए टीचर!

कक्षा में पढ़ाते हुए एसडीपीओ विकासचंद्र श्रीवास्तव.

खास बातें

  • देवघर के बीचोंबीच स्थित आरएल सर्राफ स्कूल पहुंचे एसडीपीओ
  • एसडीपीओ विकासचंद्र श्रीवास्तव को है पढ़ने-पढ़ाने का शौक
  • मौका मिलते ही पढ़ाने के लिए पहुंच जाते हैं शिक्षा संस्थानों में
देवघर (झारखंड):

बदन पर खाकी, कंधों पर सितारे, बाजू पर बैच और साथ में सुरक्षागार्ड. इस तमाम तामझाम को देखकर अक्सर लोगों के जहन में पुलिस को लेकर एक अलग ही तस्वीर उभरती है. लेकिन कभी-कभी इसी महकमे के मुलाज़िम कुछ ऐसा करते नज़र आ जाते हैं जिसे देखकर यकीन नहीं होता. ऐसी ही एक तस्वीर उस वक्त देखने को मिली जब देवघर के नए सदर एसडीपीओ यानी, डीएसपी साहब अचानक जिले के सबसे पुराने और शहर के बीचों-बीच स्थित आरएल सर्राफ स्कूल पहुंचे.  

स्कूल कैम्पस में दाखिल होते ही एसडीपीओ महोदय ने सीधे उस क्लासरूम की तरफ रुख किया जहां बच्चों की क्लास चल रही थी. क्लासरूम में यूं अचानक वर्दीधारी अधिकारी को देखकर एक बार तो बच्चे भी थोड़े हैरान हुए लेकिन, चंद मिनटों में ही क्लासरूम के भीतर से जो आवाज़ बाहर आई वह बेहद सुकून पहुंचने वाली थी. 

उस क्लास के भीतर बाद में पुलिस महकमे के वही अधिकारी एक शिक्षक की भूमिका में नजर आ रहे थे. जाहिर है जो बच्चे अब तक खाकी और खाकी के नुमाइंदों के किस्से लोगों की जुबानी सुना करते थे उनके लिए यह तस्वीर किसी अजूबे से कम नहीं थी.  लिहाज़ा विकासचंद्र श्रीवास्तव को आपने बीच टीचर की भूमिका में देखकर बच्चे भी काफी उत्साहित नज़र आ रहे थे. 

दरअसल देवघर के एसडीपीओ विकासचंद्र श्रीवास्तव को पढ़ने और पढ़ाने का काफी शौक रहा है. मगर इस शौक की वज़ह से डीएसपी साहब अपनी ड्यूटी से समझौता नहीं करते और इस बीच उन्हें जब भी मौका मिलता है इस तरह की एक्टिविटी में अक्सर नज़र आ जाते हैं. इस बाबत पूछने पर वे बताते हैं कि बच्चों के बीच आकर उन्हें पढ़ाना ही एकमात्र मकसद नहीं है बल्कि, इसके ज़रिए उनकी प्रतिभा को निखारने और समाज मे फैल रहे साइबर अपराध के प्रति जागरूक करना भी है. 

बहरहाल, जिस तरीके से अपने काम मे व्यस्त रहने के बावजूद पुलिस विभाग के यह अधिकारी शिक्षा के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करते नज़र आते हैं, अगर यही जज़्बा बाकी सरकारी मुलाजिमों के बीच भी दिखने लगे तो वह दिन भी दूर नहीं जब सुदूरवर्ती इलाके भी आने वाला कल में ज्ञान की रोशनी से रोशन नज़र आएंगे.


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