जानें कौन हैं राजबाला वर्मा, जो मंत्रियों की भी नहीं सुनतीं, लालू यादव की रह चुकी हैं करीबी

पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब रांची प्रवास पर थे तब कुछ कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत की कि राज्य में आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद किया जा रहा है.

जानें कौन हैं राजबाला वर्मा, जो मंत्रियों की भी नहीं सुनतीं, लालू यादव की रह चुकी हैं करीबी

राजबाला वर्मा की फाइल फोटो

खास बातें

  • सिमडेगा जिले में भूख से हुई थी बच्ची की मौत
  • राज्य के मंत्री मानते हैं कि मुख्य सचिव किसी की नहीं सुनतीं
  • मुख्यमंत्री रघुबरदास ने किया राजबाला वर्मा का बचाव
पटना:

झारखंड में इस बात की जांच चल रही है कि राज्य के सिमडेगा जिले में संतोषी कुमारी की मौत भूख से जैसा कि परिवार वाले बोल रहे हैं या मलेरिया की बीमारी से जैसा दावा प्रशासन के लोग कर रहे हैं. इससे जुड़ी रिपोर्ट मुख्यमंत्री रघुबर दास के अनुसार जल्द आ जाएगी. सरकार ने माना कि मृतक बच्ची के परिवार को पिछले कई महीने से राशन नहीं मिल रहा था. इसका कारण था कि आदेश के बावजूद राज्य की मुख्य सचिव ने लिखित और मौखिक रूप से आदेश दिया कि बिना आधार कार्ड के राशन कार्ड नहीं मिलेगा. राज्य के मंत्री बताते हैं कि मुख्य सचिव किसी की नहीं सुनती और सप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ये आदेश पारित किया. 

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पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब रांची प्रवास पर थे तब कुछ कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत की कि राज्य में आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद किया जा रहा है. तब संबंधित मंत्री को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि ये सब उनकी जानकारी के बिना मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के आदेश से हो रहा है. शाह की नाराजगी के बाद उस आदेश को वापस लिया गया. कुछ महीने पहले कुद मुख्यमंत्री रघुबर दास के प्रधान सचिव संजय कुमार ने वर्मा के व्यवहार से तंग आकर वापस अपने बिहार कैडर में जाने की इच्छा व्यक्त की थी.

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इसके अलावा राजबाला वर्मा जब राज्य के पथ निर्माण विभाग की प्रधान सचिव थीं तब राज्य के सरंधा फ़ॉरेस्ट में एक 31 किलोमटीर लंबी सड़क का निर्माण शुरू करवाया और बिना वन या पर्यावरण की अनुमति के जंगल की कटाई करवा डाली. फिलहाल सड़क का निर्माण तो रुका है, लेकिन इस मामले की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चल रही है, जहां राज्य सरकार के खिलाफ कई बार टिप्पणियां हुई हैं. वर्मा एक ज़माने में लालू यादव के साथ उनकी सत्ता में काफी करीबी मानी जाती थीं. 1995 के विधानसभा चुनाव में भी वह गया की जिलाधिकारी थीं, लेकिन उनके असहयोग से तंग आकर चुनाव आयोग ने भविष्य में चुनाव कार्यों के लिए उन्हें अयोग्य करार दिया था. फिलहाल उनके पति जेबी तुबिद भाजपा के नेता हैं. तुबिद भी आईएएस अधिकारी रहे हैं और पिछला विधानसभा चुनाव वह भाजपा के टिकट पर लड़े थे. 

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मुख्यमंत्री रघुबरदास राजबाला का बचाव करते हुए कहते हैं कि अधिकारियों से काम करवाने के लिए शीर्ष पर कड़क अधिकारियों की ज़रूरत होती है. दास का मानना है कि मुख्य सचिव कोई ग़लतभावना से काम नहीं करतीं हां सबको साथ लेकर चलने में हमेशा वह कामयाब भी नहीं रहतीं.


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