JIPMER के टॉपर अरुणांग्शु से जानिए उनकी सफलता का राज...

JIPMER यानी जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पांडिचेरी के लिए हुई प्रवेश परीक्षा के नतीजे आ गए हैं जिसमें गुजरात के अरुणांग्शु भट्टाचार्य ने 99.998 परसेंटाइल के साथ देश भर में पहला स्थान प्राप्त किया है.

JIPMER के टॉपर अरुणांग्शु से जानिए उनकी सफलता का राज...

JIPMER MBBS 2019 टॉपर अरुणांग्शु भट्टाचार्य

JIPMER यानी जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पांडिचेरी के लिए हुई प्रवेश परीक्षा के नतीजे आ गए हैं जिसमें गुजरात के अरुणांग्शु भट्टाचार्य ने 99.998 परसेंटाइल के साथ देश भर में पहला स्थान प्राप्त किया है. अरुणांग्शु मूल रूप से असम के रहने वाले हैं लेकिन उनके माता-पिता गुजरात के सूरत में रहते हैं. सूरत में ही उन्होंने एलेन इंस्टिट्यूट से मेडिकल की तैयारी की. NDTV के साथ अपनी बातचीत में उन्होंने बताया कि JIPMER ने अपने प्रश्नों के स्तर में काफी बदलाव किए हैं. जहां कुछ साल पहले तक JIPMER में बायोलॉजी में साइंटिस्ट के नाम या कहें तो थ्योरी से जुड़े सवाल ज्यादा होते थे वहीं अब AIIMS की ही तरह कॉन्सेप्ट से जुड़े सवाल पूछे जाने लगे हैं. 

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बायोलॉजी के सवालों के लिए एनिमल फिजियोलॉजी पर अब विशेष ध्यान देने की जरूरत है. फिजिक्स के सवाल में भी न्यूमेरिकल की संख्या बढ़ गयी है. अरुणांग्शु बताते हैं कि अगर आप एम्स की तैयारी कर रहे हैं तो साथ ही JIPMER की तैयारी भी कर सकते हैं. जहां तक फिजिक्स की बात है तो उसमें ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जो एक से ज्यादा थ्योरी पर आधारित हों. मिसाल के लिए मेकेनिक्स की थ्योरी का प्रयोग कर दूसरे चैप्टर से प्रश्न बनाए जाते हैं. इसी तरह केमिस्ट्री की तैयारी में भी JIPMER के लिए कोई अलग समय देने की जरूरत नहीं है, इस एग्जाम की तैयारी हम नीट के साथ-साथ कर सकते हैं. केमिस्ट्री की तैयारी के लिए NCERT को आधार मान कर चलना चाहिए. ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के प्रश्न कुछ कठिन होते हैं लेकिन अरुणांग्शु का मानना है कि जो सवाल कठिन हैं वो सभी के लिए कठिन हैं लिहाजा अपनी तैयारी को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए. 

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JIPMER के लिए अंग्रेजी और मेंटल एबिलिटी पर कुछ अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं होती है, मेंटल एबिलिटी के सवाल आसान ही रहते हैं. इसी तरह अगर हम अपने बोर्ड के लिए अंग्रेजी की तैयारी कर रहे हैं ओर हमारे अंदर लिखने की क्षमता है तो हम आसानी से इस बाधा से निकल सकते हैं. अरुणांग्शु का कहना है कि आमतौर पर लोगों के मन में एम्स और नीट का ही ध्यान रहता है, JIPMER जैसे इंस्टिच्यूट पर नहीं. लेकिन छात्रों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह संस्थान भी देश में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर दूसरे-तीसरे नंबर पर आता है. अगर हम इसकी तैयारी भी साथ-साथ करें तो हमारे पास एक और विकल्प रहेगा. 

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एम्स और JIPMER की तैयारी में कुछ अधिक अंतर नहीं देखने को मिलता है. एम्स की तुलना में JIPMER में चार्ट और टेबल आधारित सवाल भी अधिक पूछे जाते हैं. आरूनांग्शु भविष्य में न्यूरो या कार्डियो में स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं. केवीपीवाई (किशोर वैज्ञानिक प्रोत्सहन योजना) में भी उन्होंने देश भर में 26वां स्थान हासिल किया है. वहीं हंगरी में होने वाले बायोलॉजी ओलंपियाड में भी वो देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं.