यमुना नदी के किनारे होने वाले श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम में राष्ट्रपति नहीं जाएंगे

यमुना नदी के किनारे होने वाले श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम में राष्ट्रपति नहीं जाएंगे

नई दिल्ली:

दिल्ली में युमना नदी के किनारे होने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के एक कार्यक्रम पर उठाई जा रही आपत्तियों पर श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि जिस काम के लिए उन्हें अवॉर्ड मिलना चाहिए था, उन्हें उल्टा कोर्ट में घसीटा जा रहा है। इस हफ्ते शुक्रवार से विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था 'आर्ट ऑफ लिविंग' यमुना के किनारे एक महा-सम्मेलन शुरू करने जा रही है लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। वहीं राष्ट्रपति भवन के सूत्रों से पता चला है कि इस कार्यक्रम के उद्घाटन पर पीएम मोदी के साथ पहुंचने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वह सम्मेलन में उपस्थित नहीं हो पाएंगे।
 

श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम के पोस्टर में प्रणब मुखर्जी की भी तस्वीर थी

इस पर आध्यात्मिक गुरू रविशंकर ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए यमुना को इसलिए चुना ताकि वह नदी की सफाई को लेकर लोगों को जागरुक कर सकें। एनडीटीवी से बातचीत में रविशंकर ने कहा कि उनकी संस्था से जुड़े कई स्वयंसेवियों ने पहले भी यमुना से कचरा साफ करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वह पूरे देश में किसी भी खूबसूरत जगह को चुन सकते थे लेकिन इसे तो आप सदी का जोक ही कहेंगे कि आर्ट ऑफ लिविंग, नदी को प्रदूषित कर रहा है।

35 लाख मेहमान आएंगे
59 साल के श्री श्री ने कहा कि अगर उन्हें पर्यावरणविदों की इस चिंता के बारे में पहले ही पता चल जाता तो वह शुरू में ही जगह बदल देते। आयोजकों का कहना है कि इस तीन-दिवसीय कल्चर फेस्टिवल में करीब 35 लाख से ज्यादा लोगों के आने की संभावना है, वहीं आलोचकों ने चिंता जताई है कि इस सम्मलेन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने वाला है। पर्यावरण कार्यकर्ता आनंद आर्या का कहना है कि पैंतीस लाख लोग यहां आने वाले हैं यानि करीब 2 लाख 10 हज़ार टन की वजन इस नाजुक से ईको-सिस्टम पर पड़ने वाला है। आनंद ने भारत की शीर्ष पर्यावरण अदालत राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) से यह कार्यक्रम रद्द करने की अपील की है। इस बारे में मंगलवार को फैसला आने की उम्मीद है।

शांति से वीणा बजाता
आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का कहना है कि सम्मेलन में योगशालाएं होंगी, साथ ही संस्कृत विद्वानों द्वारा शांति-प्रार्थना और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। श्री श्री ने एनडीटीवी को जानकारी दी है कि उन्होंने कार्यक्रम खत्म होने के बाद जगह की सफाई करने का दायित्व लिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विवादों में पड़कर उन्हें कभी कभी अफसोस होता है कि वह इस आध्यात्मिक आंदोलन का हिस्सा क्यों बने, इससे अच्छा तो मैं शांति से वीणा बजा रहा होता।

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पर्यावरण कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति ने हाल ही में संस्था पर एक करोड़ 75 लाख डॉलर का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी लेकिन कार्यक्रम को रद्द करने के बारे में कोई बात नहीं कही गई। हालांकि श्री श्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा 'जुर्माना, हमें तो रेड कार्पेट मिलना चाहिए, अवॉर्ड देना चाहिए।'