यह ख़बर 01 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

JPC-PAC की रस्साकशी पहुंची स्पीकर के पास

खास बातें

  • चाको ने कहा कि पीएसी जांच का दायरा कैग रिपोर्ट तक सीमित रखे, जबकि जोशी बोले कि पीएसी पहले इस मामले की जांच शुरू कर चुकी है।
New Delhi:

टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच को लेकर संयुक्त संसदीय समिति :जेपीसी: और लोक लेखा समिति :पीएसी: के बीच रस्साकशी शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के सामने जा पंहुची जहां दोनों पक्षों ने अपने अपने दावे रखे। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जेपीसी प्रमुख पीसी चाको ने तर्क दिया कि पीएसी को अपनी जांच का दायरा नियंत्रक महालेखा परीक्षक :कैग: की रिपोर्ट तक सीमित रखना चाहिए, जबकि पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि उनकी समिति जेपीसी से पहले इस मामले की जांच शुरू कर चुकी है इसलिए अब वह इससे पीछे नहीं हट सकते। चाको ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि एक ही मुद्दे पर दो संसदीय समितियों का जांच करना और दो अलग अलग रिपोर्ट देना स्वस्थ संसदीय परंपरा नहीं होगी। उन्होंने कहा, अगर कहीं कोई टकराव है तो अब उस बारे में अंतिम निर्णय करना स्पीकर का काम है। सूत्रों के अनुसार जोशी ने स्पीकर के सामने तर्क रखा कि वह कहीं पहले से 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच शुरू कर चुके हैं इसलिए अब वह पीछे नहीं हट सकते हैं। जेपीसी की 24 मार्च को हुई पहली बैठक के बाद चाको स्पीकर से मिले थे। उन्होंने शिकायत की थी कि इस मुद्दे पर जांच में पीएसी उसके अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर सकती है और इससे बचने के लिए उनके :स्पीकर: हस्तक्षेप की दरकार है। उन्होंने कहा कि 30 सदस्यीय जेपीसी में इस बात को लेकर आम राय है कि पीएसी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जेपीसी के समानांतर जांच चला सकती है। चाको ने बताया, हम दोनों ने स्पीकर के समक्ष अपने विचार रखे और अब हम इस मामले में उनकी व्यवस्था की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जेपीसी की अगली बैठक 18 मई को होनी है। चाको का कहना है कि वह संसद का मानसून सत्र समाप्त होने से पहले जेपीसी की रिपोर्ट देने की कोशिश करेंगे।


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