पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने वाले जज शुक्रवार को हो रहे हैं रिटायर

जज सुनील गौर ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मैने पूर्व केंद्रीय मंत्री की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया तो समाज में गलत संदेश जाएगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने वाले जज शुक्रवार को हो रहे हैं रिटायर

पी चिदंबरम की याचिका खारिज करने वाले जज सुनील गौर होंगे रिटायर

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट के जिस जज ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज की वह इसी शुक्रवार को रिटायर होने वाले हैं. जस्टिस सुनील गौर ने कहा कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का अनोखा मामला है. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मैने पूर्व केंद्रीय मंत्री की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया तो समाज में गलत संदेश जाएगा. बता दें कि आईएनएक्स मीडिया (INX Media Case) मामले में कोर्ट ने उन्हें राहत न देते हुए उनकी अग्रिम जमानत की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है. याचिका खारिज होने के बाद अब पी. चिदंबरम (P Chidambaram) पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. इसके बाद पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. चिदंबरम के वकील जब तक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, कोर्ट उठ चुकी थी. इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार के पास गए.

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कोर्ट ने 25 जनवरी को इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. जिरह के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ने ही चिदंबरम की अर्जी का इस आधार पर विरोध किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह सवालों से बच रहे हैं. दोनों जांच एजेंसियों ने दलील दी थी कि चिदंबरम के वित्तमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान मीडिया समूह को 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी मंजूरी प्रदान की गई थी.

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प्रवर्तन निदेशालय ने दलील दी थी कि जिन कंपनियों में धनराशि हस्तांतरित की गई वे सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर चिदंबरम के पुत्र कार्ति द्वारा नियंत्रित हैं और उनके पास यह मानने का एक कारण है कि आईएनक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी उनके पुत्र के हस्तक्षेप पर प्रदान की गई. उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई 2018 को चिदंबरम को दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसे समय समय पर बढ़ाया गया.

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