कारगिल में शहीद हुए जवान की बेटी का 'संदेश' क्या सरकारों को सोचने पर मजबूर करेगा..

कारगिल में शहीद हुए जवान की बेटी का 'संदेश' क्या सरकारों को सोचने पर मजबूर करेगा..

नई दिल्ली:

शांति की अपेक्षा करना और शांति के लिए कदम उठाना, दोनों अलग अलग बातें है। फेसबुक पर एक चार मिनट के वीडियो में यही बात भारत-पाकिस्तान की सरकारों को समझाने की कोशिश की गई है। 19 साल की गुरमेहर कौर के पिता कारगिल की लड़ाई में शहीद हुए थे और उन्होंने इस वीडियो में कुछ पोस्टर नुमा संदेशों के ज़रिए भारत-पाकिस्तान के बीच शांति बनाए रखने का संदेश दिया है। जालंधर में रहने वाली गुरमेहर ने 1999 में अपने पिता कप्तान मनदीप सिंह को सीमा की लड़ाई के दौरान खो दिया था। उस वक्त गुरमेहर सिर्फ 2 साल की थी।

बस बहुत हुआ...
गुरमेहर का यह संदेश अंग्रेज़ी में है और इसमें उन्होंने 30 पोस्टरों के ज़रिए अपनी बात सामने रखी है। वह लिखती हैं 'पिता के न होने पर कैसा महसूस होता है इसकी यादें मेरे पास ज्यादा हैं'' और 'मुझे याद है मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितनी नफरत करती थी क्योंकि उन्होंने मेरे पिता को मार डाला।'  गुर ने लिखा कि छह साल की उम्र में उन्होंने एक बुरक़ा पहनी हुई महिला को मारने की कोशिश की क्योंकि 'पता नहीं किस वजह से मुझे ऐसा लगता था कि वही मेरे पिता की मौत की जिम्मेदार है'' और 'आज मैं भी अपने पिता की तरह एक सैनिक हूं। मैं भारत - पाकिस्तान के बीच शांति के लिए लड़ रही हूं।'



इस वीडियो के ज़रिए गुरमेहर चाहती हैं कि दोनों देशों की सरकारे ढोंग करना बंद करें और समस्या को सुलझाने का काम करें। वीडियो में कहा गया है कि 'हम तीसरी दुनिया के स्तर के नेतृत्व के साथ विकसित देश बनने का सपना नहीं देख सकते। बहुत हुआ सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, जासूसी, नफरत..बस बहुत हुआ!!'


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