यह ख़बर 17 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

करगिल के 'मास्टरमाइंड' मुशर्रफ़ का भारत को शुक्रिया

खास बातें

  • पाकिस्तान पर आठ साल तक राज करने वाले जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ अपने मुल्क़ पाकिस्तान नहीं लौट पा रहे हैं, लेकिन उन्हें एक बार फिर भारत आकर अपनी बातें कहने का मौक़ा मिला है।
नई दिल्ली:

जिससे दुश्मनी की, वही अब काम रहा है। पाकिस्तान पर आठ साल तक राज करने वाले जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ अपने मुल्क़ पाकिस्तान नहीं लौट पा रहे हैं, लेकिन उन्हें एक बार फिर भारत आकर अपनी बातें कहने का मौक़ा मिला है।

इस बाबत जब एनडीटीवी ने मुशर्रफ़ से सवाल किया, तो जवाब में उन्होंने भारत का शुक्रिया अदा किया। मुशर्रफ़ ने कहा, हां मैं आपको (भारत को) क्रेडिट देता हूं कि आपने मुझे निमंत्रण दिया और मुझे यह मौक़ा मिल रहा है। मैं यह स्वीकार करता हूं और इसके लिए हिन्दुस्तानी मीडिया समूहों और कई भारतीय का शुक्रिया अदा करता हूं।

मुशर्रफ़ एचटी लीडरशिप समिट में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों की बहाली के लिए अच्छी नीयत की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। जब उनसे पूछा गया कि करगिल घुसपैठ के पीछे उनकी क्या नीयत थी, तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख रह चुके मुशर्रफ़ ने बिफर कर कहा कि 'वही नीयत थी, जो 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को और फिर सियाचिन को लेकर भारत की नीयत थी।'

मुशर्रफ़ ने भारत पर अफग़ानिस्तान की ज़मीन से पाकिस्तान में उपद्रव फैलाने का भी आरोप लगाया। मुशर्रफ़ ने एक बार फिर यह इरादा जताया कि वह पाकिस्तान ज़रूर लौटेंगे। 2008 में सत्ता से हटने के बाद से मुशर्रफ लगातार लंदन और दुबई में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एक बार उन्होंने वापस लौटने का इरादा कर लिया था, लेकिन कई साथियों ने समझाया कि यह सही समय नहीं है। लेकिन पाकिस्तान में मौजूदा 'पॉलिटिकल स्टेट्स को' तोड़ने के लिए अपनी रणनीति बना रहे हैं। लौटने के लिए उन्हें चुनाव के ऐलान और अंतरिम सरकार के सत्ता संभालने का इंतज़ार है।

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इस मौक़े पर उन्होंने कश्मीर समस्या के समाधान से लेकर अफ़ग़ानिस्तान में पख्तूनों के नेतृत्व वाली सरकार की ज़रूरत तक हर मुद्दे पर अपने विचार रखे। अपने कार्यकाल में ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में होने की जानकारी से उन्होंने साफ़ इनकार किया।