यह ख़बर 07 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

करुणानिधि ने परोक्ष रूप से अलागिरी को दी चेतावनी

चेन्नई:

द्रमुक में नेतृत्व को लेकर करुणानिधि परिवार में झगड़े के बीच पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि ने मंगलवार को मदुरै में रहने वाले अपने बेटे एम के अलागिरी को परोक्ष तौर पर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जो भी पार्टी के फरमान के खिलाफ जाएगा उसे निष्कासित कर दिया जाएगा।

लोकसभा चुनाव के लिए द्रमुक के विजयकांत नीत डीएमडीके के साथ समझौते के लिए अलागिरी की कथित टिप्पणी से नाराज करुणानिधि ने कहा कि उन्होंने खुद पार्टी 'अध्यक्ष' के तौर पर दोनों के बीच गठबंधन की संभावना को लेकर खुशी का इजहार किया।

ऐसी खबरें थीं कि अलागिरी ने द्रमुक-डीएमडीके के बीच गठबंधन के खिलाफ टिप्पणी की थी। अलागिरी के बयान से खुद को अलग करने की कोशिश करते हुए करुणानिधि ने कहा कि अगर वो सही है तो 'उनके और द्रमुक के बीच कोई संबंध नहीं है।' उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि गठबंधन की संभावना पर कार्यकारिणी और आम परिषद या 'अधिकृत आलाकमान' को फैसला करना है।

अलागिरी का बयान करुणानिधि के द्रमुक और डीएमडीके के बीच गठबंधन का स्वागत करने वाले बयान के विपरीत था। करुणानिधि ने कहा, 'यह न सिर्फ खेदजनक है बल्कि निंदनीय भी है।'

उन्होंने कहा, 'मैं यह साफ करता हूं कि जो लोग इस तरह का अनावश्यक विरोधाभासी बयान देंगे और इस प्रकार पार्टी के अनुशासन को प्रभावित करेंगे, चाहे वो जो कोई भी हों, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी और उन्हें यहां तक कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया जाएगा।'

उन्होंने कहा कि यह फैसला हमेशा द्रमुक के सभी सदस्यों पर लागू होगा। करुणानिधि की चेतावनी तिरचिरापल्ली में अलागिरी के छोटे भाई स्टालिन द्वारा उन्हें फटकार लगाए जाने के एक दिन बाद आयी है।

विजयकांत की पार्टी से द्रमुक के गठबंधन करने के खिलाफ अलागिरी के कथित तौर पर राय जाहिर करने के बारे में पूछे जाने पर स्टालिन ने डीएमडीके के साथ पार्टी के गठबंधन करने का स्वागत करते हुए कहा था कि वह इस तरह की अनावश्यक खबरें नहीं पढ़ते।

अलागिरी और स्टालिन के बीच मतभेद जगजाहिर हैं। करुणानिधि के राजनैतिक उत्तराधिकारी के मुद्दे पर दोनों के बीच टकराव चल रहा है।

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90 साल के द्रमुक प्रमुख ने कई बार संकेत दिया है कि स्टालिन उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं। अलागिरी ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि वह करुणानिधि के अतिरिक्त किसी को भी अपना नेता नहीं मानेंगे।