कठुआ गैंगरेप केस: नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह केस चलेगा या नहीं, फैसला अगले हफ्ते

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या मामले के नाबालिग अरोपी के भाग्य का फैसला अगले सप्ताह होगा

कठुआ गैंगरेप केस: नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह केस चलेगा या नहीं, फैसला अगले हफ्ते

फाइल फोटो

जम्मू :

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या मामले के नाबालिग अरोपी के भाग्य का फैसला अगले सप्ताह होगा, जहां उसके नाबालिग होने पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. इस याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी और इस पर कोई फैसला इस बात को स्पष्ट करेगा कि उसके मामले की भी सुनवाई सात अन्य आरोपियों के साथ ही पठानकोट जिला एवं सत्र न्यायालय में होगी अथवा कठुआ में किशोर न्याय बोर्ड में. राज्य विधि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस ने गहनता से जांच की है और आरोपी के मेडिकल टेस्ट भी कराएं हैं. रिपोर्ट में उसकी उम्र 19-23 के बीच होने का पता चला है.’   उन्होंने कहा कि इस मामले में इकट्ठे किए गए सबूत सभी आरोपियों के लिए समान हैं. उन्होंने कहा, हम एक ही गवाह को दो बार - एक बार पठानकोट में और दूसरी बार किशोर बोर्ड के समक्ष पेश नहीं कर सकते. स्पष्टता आवश्यक है.’    

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गौरतलब है कि बच्ची के परिवार की याचिका पर इस मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर पठानकोट स्थानांतरित किया गया है. परिवार ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कठुआ बार एसोशिएशन के शत्रुतापूर्ण रवैया का जिक्र किया जिसने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को अरोप पत्र दाखिल करने से रोका था. सात मई को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यामूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा की पीठ ने मामले को पठानकोट जिला एवं सत्र न्यायालय को स्थानांतरित करते हुए मामले की रोजाना सुनवाई को रिकॉर्ड करने के निर्देश दिए थे. इस मामले में नाबालिग ने कथित तौर पर बच्ची को 10 जनवरी को अगवा किया था . 

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कठुआ मामले की सुनवाई पठानकोट में ट्रांसफर की गई है. इस मामले के आठ में से सात आरोपियों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सामने पेश किया गया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने अभियोजन पक्ष से आरोपपत्र , बयान और मामले की केस डायरियों की उर्दू से अंग्रेजी में अनुवादित प्रतियां चार जून को बचाव पक्ष के वकीलों सहित अन्य को देने को कहा. चार मंजिला अदालत परिसर को कड़े सुरक्षा पहरे में रखा गया था और बचाव पक्ष की ओर से 31 वकील जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से एस एस बसरा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय दल पेश हुआ. दलीलें देने वालों में परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली चार सदस्यीय टीम भी शामिल थी. 

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