यह ख़बर 11 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

केरल में प्रतिद्वंद्वी मोर्चे को चुनाव नतीजों का इंतजार

खास बातें

  • इस बार के चुनाव नतीजों से यह जाहिर हो जाएगा कि राज्य हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की अपनी परंपरा को कायम रख पाता है या नहीं?
तिरुवनंतपुरम:

ऐसे में जब केरल विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाने में सिर्फ दो दिन शेष रह गए हैं, राज्य के सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ खेमे में उम्मीद और उत्सुकता का माहौल है। गौरतलब है कि पिछले महीने राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी मोर्चे में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। चुनाव नतीजों से यह जाहिर हो जाएगा कि राज्य हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की अपनी परंपरा को कायम रख पाता है या नहीं? गौरतलब है कि कांग्रेस नीत यूडीएफ और माकपा नीत एलडीएफ एक दूसरे के पांच वर्ष के शासन के बाद फिर से सत्ता में आते रहे हैं। वर्ष 1982 से दोनों मोर्चे एक दूसरे के बाद सत्ता पर काबिज होते रहे हैं। चुनाव नतीजों से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि राज्य के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के साथ इस परंपरा को रोक पाते हैं या नहीं। हालांकि, चुनाव बाद कराए गए सभी सर्वेक्षणों में अनुमान लगाया गया है कि इस बार दोनों मोर्चो के बीच सीटों का अंतर कम रहेगा। एलडीएफ ने वर्ष 2006 के चुनाव में 140 सदस्यीय विधानसभा में 98 सीटें हासिल की थी, जो वर्ष 2001 के चुनाव परिणामों के ठीक उलट था। बहरहाल, इस बार मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में कुछ अधिक दर्ज किया गया। इस बार 75. 12 प्रतिशत मतदान हुआ, जो वर्ष 2001 के 72. 38 से थोड़ा अधिक है। अच्युतानंदन और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार ओमन चांडी के अलावा कई और उम्मीदवारों के राजनीतिक भविष्य के बारे में 13 मई के चुनाव नतीजों में फैसला होगा। इन उम्मीदवारों में पोलित ब्यूरो सदस्य और गृहमंत्री कोटियरी बालकृष्णन, प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष रमेश चेन्नीथाला, आईयूएमएल नेता पीके कुन्हलीकुट्टी, दिवंगत नेता करुणाकरण के बेटे मुरलीधरन और पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता ओ राजागोपाल के नाम भी शामिल हैं।


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