केरल में बाढ़ की तबाही के बाद अब सामने आई कई मुसीबतें, नदियां और कुएं सूख रहे हैं

बाढ़ प्रभावित केरल में तापमान बढ़ने के साथ नदियों और कुओं के अप्रत्याशित तौर पर सूखने की खबरों ने राज्य सरकार को फिक्रमंद कर दिया है.

केरल में बाढ़ की तबाही के बाद अब सामने आई कई मुसीबतें, नदियां और कुएं सूख रहे हैं

केरल बाढ़

नई दिल्ली:

बाढ़ प्रभावित केरल में तापमान बढ़ने के साथ नदियों और कुओं के अप्रत्याशित तौर पर सूखने की खबरों ने राज्य सरकार को फिक्रमंद कर दिया है. सरकार ने बाढ़ के बाद के घटनाक्रम पर वैज्ञानिक अध्ययन कराने का निर्णय किया है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद को घटनाक्रम का अध्ययन करने और समस्या का संभावित समाधान बताने का निर्देश दिया है.

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पिछले महीने बाढ़ आने के बाद तापमान का बढ़ना, अप्रत्याशित तौर पर नदियों का जल स्तर घटना, अचानक से कुओं का सूखना, भूजल, जलाशयों में गिरावट आना और केंचुओं के सामूहिक खात्मे समेत कई मुद्दों ने केरल के विभिन्न हिस्सें को चिंतित किया है.    सैलाब ने समृद्ध जैव विविधता के लिए मशहूर वायनाड जिले को तबाह कर दिया. बड़े पैमाने पर केंचुओं के मरने से किसान चिंतित हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस वजह से धरती तेजी से सूख रही है और मृदा की संरचना में बदलाव हो रहा है. 

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पेरियार, भारतपुझा, पंपा और कबानी समेत कई नदियां बाढ़ के दिनों में उफान पर थी लेकिन अब उनका जलस्तर असामान्य तौर पर घट रहा है. कुओं के सूखने के अलावा उनके ढहने की भी खबरें हैं. बाढ़ ने कई स्थानों पर भूमि की स्थलाकृति बदल दी है और खासतौर पर, इदुक्की और वायनाड जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में जमीन में किलोमीटर लंबी दरारें आ गई हैं.    विशेषज्ञों ने सैलाब के बाद कई जिलों में सूखा पड़ने की आशंका व्यक्त की है. 

विजयन ने फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट में कहा, ‘जल स्तर में गिरावट, भूजल में परिवर्तन और जमीन में पड़ी दरारों के अध्ययन का काम जल संसाधन प्रबंधन केंद्र को सौंपा गया है.’    
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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