केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद ने कहा, विधानसभा में CAA के विरोध में पास किया गया प्रस्‍ताव असंवैधानिक

नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है, क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्रीय विषय है, इसलिए इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है.

केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद ने कहा, विधानसभा में CAA के विरोध में पास किया गया प्रस्‍ताव असंवैधानिक

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटो)

खास बातें

  • CAA के खिलाफ केरल विधानसभा में प्रस्ताव
  • राज्यपाल ने कहा- कोई वैधता नहीं
  • CAA केंद्र से जुड़ा मामला
नई दिल्ली:

नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए जाने को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है, क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्रीय विषय है, इसलिए इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है. केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद कुछ दिन पहले ही एक सेमिनार में सीएए को लेकर बयान दे रहे थे जिसका विरोध करने के लिए इतिहासकर इरफान हबीब मंच पर आ गए. मंच पर उपस्थित लोगों ने इसमें बीच-बचाव किया था.  इससे पहले CAA को रद्द करने की मांग को लेकर केरल विधानसभा सदन में 31 दिसंबर, 2019 को एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इस प्रस्‍ताव का सदन में भाजपा के एकमात्र सदस्य ने विरोध किया. केरल में सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया था. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी. केरल विधानसभा में 31 दिसंबर, 2019 को प्रस्ताव पेश करके इसे एक के मुकाबले 138 मतों से पास करवाकर केरल की पी विजयन सरकार ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है.
 

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केरल के सीएम पी विजयन का कहना है कि केंद्र को अपने संकीर्ण और भेदभाव वाले रवैये को त्यागकर सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए. सीएए के खिलाफ सदन में प्रस्‍ताव पास करने वाली केरल विधानसभा देश की पहली विधानसभा है. बीजेपी विधायक का कहना है कि देश की संसद से बनाए गए कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाना गैरकानूनी है और यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ भी है.