यह ख़बर 16 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

खेमका का ट्रांसफर हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ : हरियाणा सरकार

खास बातें

  • हरियाणा की कांग्रेस सरकार के सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की ओर से कहा जा रहा है कि तबादला हाई कोर्ट के आदेश पर दिया गया है।
चंडीगढ़:

राबर्ट वड्रा भूमि विवाद के चलते वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के तबादले के कारण आलोचनाओं में घिरी हरियाणा सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसके निर्णय में कोई दुर्भावना नहीं है तथा उसने अधिकारी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जांच के आदेश दिए हैं।

खेमका ने हरियाणा के चार जिलों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद के सभी भूमि सौदों की जांच का आदेश दिया जिसके बाद उन्हें महानिरीक्षक पंजीकरण के पद से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें ईमानदार होने और घोटालों का बेनकाब करने के कारण उन्हें दंडित किया जाना, सरासर गलत है।

हरियाणा के मुख्य सचिव पी के चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि खेमका के तबादले के निर्णय में कोई ‘‘द्वेष या दुर्भावना’’ नहीं है। परेशान किए जाने के खेमका के आरोपों को खारिज करते हुए चौधरी ने कहा कि सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश का पालते हुए कदम उठाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘गुडगांव के जिला राजस्व अधिकारी द्वारा राज्य सरकार के संज्ञान में लाये गये प्राथमिक तथ्य इंगित करते हैं कि प्रथम दृष्टया वास्तविक स्थिति खेमका द्वारा अपनाए गए रूख से भिन्न है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, राज्य सरकार ने श्री खेमका द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर जांच के आदेश दिए हैं।’’

जांच समिति अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में बनाई गई है। इसके दो सदस्य राज्य सरकार से होंगे। समिति को एक माह के भीतर काम पूरा करने को कहा गया है। मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘जांच समिति संबद्ध अधिकारियों के कदमों के कानूनी पक्ष पर गौर करेगी। इनमें यदि कोई बात छोड़ी या जोड़ी गई तो उसको भी देखा जाएगा।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘श्री खेमका का तबादला माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए किया गया है। सरकार की ओर किसी प्रकार की जल्दबाजी या द्वेष का कोई सवाल ही नहीं उठता।’’ वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों में जांच का आदेश देने के कारण तबादले के खेमका के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि स्थानांतरण का आदेश 11 अक्तूबर को जारी किया गया जबकि खेमका ने अपना आदेश 15 अक्तूबर को दिया था।

चौधरी ने कहा, ‘‘लिहाजा इन सबका तबादले की वजह बनने का कोई सवाल ही नहीं उठता। इसके अलावा श्री खेमका द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में उन्होंने अपने उस आदेश का कहीं जिक्र नहीं किया है जो उन्होंने दिया था।’’ पंजीकृत संपत्ति का मूल्य कम आंके जाने के आरोपों का खंडन करते हुए चौधरी ने कहा कि वाड्रा की मैसर्स स्काई लाइट होस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. और मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल के बीच हुए संपत्ति सौदे के बारे में गुड़गांव के उपायुक्त के जरिये तहसीलदार सह पंजीयक, मानेसर से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है।

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उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बिक्री दस्तावेज और बाद में भूमि का स्थानांतरण कलेक्टर दर से कहीं अधिक था। लिहाजा इस बिक्री दस्तावेज से राज्य सरकार को कोई राजस्व हानि नहीं हुई।