नवजोत सिद्धू ने शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर साधा निशाना, लोग तलाश रहे इसके मायने..

कृषि कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं-आपत्तियों पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जब उच्‍च स्‍तरीय समिति के गठन का फैसला किया था तब भी नवजोत सिद्धू ने ट्वीट किया था.

नवजोत सिद्धू ने शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर साधा निशाना, लोग तलाश रहे इसके मायने..

नवजोत सिद्धू के इस शायराना अंदाज के लोग अपनीी समझ के हिसाब से मायने तलाश रहे हैं

नई दिल्ली:

Kisan Aandolan: कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अपनी बात शायराना अंदाज में रखने के लिए मशहूर हैं. अपनी बात को अलग अंदाज में रखने वाले सिद्धू सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय हैं और उनके बड़ी संख्‍या में फॉलोअर हैं. किसान आंदोलन (Kaisan Aandolan) को लेकर सिद्धू, नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ बेहद मुखर हैं और लगातार चुटीली-धारदार टिप्‍पणियां करते रहते हैं. बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू ने दो लाइनों के जरिये केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. FarmersProtest के हैशटैग के साथ किए गए ट्वीट में उन्‍होंने लिखा-अमीर के घर में बैठा कौआ भी मोर नज़र आता है,एक गरीब का बच्चा क्या तुम्हे चोर नज़र आता है?' सिद्धू के इस शायराना अंदाज का लोग अपने समझ के हिसाब से मायने तलाश रहे हैं. वैसे कई लोगों का मानना है कि किसानों को लेकर दिल्‍ली से लगी सीमा पर पुलिस की नाकेबंदी को लेकर उन्‍होंने तंज कसा है.

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गौरतलब है कि इससे पहले कृषि कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं-आपत्तियों पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जब उच्‍च स्‍तरीय समिति के गठन का फैसला किया था तब भी सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने ट्वीट किया था. उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा था, 'लोकतंत्र में कानून, जनप्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं न कि माननीय कोर्ट या कमेटियों के द्वारा...कोई भी मध्‍यस्‍थता, बहस या चर्चा किसानों और संसद के बीच ही होनी चाहिए.''

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गौरतल‍ब है कि कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर के किसान दिल्‍ली में आंदोलन कर रहे हैं.किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है. सरकार ने 22 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई आखिरी दौर की बातचीत में कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था. किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं.

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