गीत गाया पत्थरों ने... की किशोरी अमोनकर की मखमली आवाज हो गई खामोश, मुंबई में हुआ निधन

गीत गाया पत्थरों ने... की किशोरी अमोनकर की मखमली आवाज हो गई खामोश, मुंबई में हुआ निधन

किशोरी अमोनकर का निधन (फाइल फोटो)

खास बातें

  • किशोरी अमोनकर का 84 साल की उम्र में निधन
  • शास्त्रीय संगीत की अग्रणी गायिकाओं में से एक
  • पद्म भूषण और पद्म विभूषण का मिल चुका है सम्मान
नई दिल्ली:

भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी आमोनकर का मुम्बई में सोमवार देर रात निधन हुआ. वे 84 साल की थीं. अपने क्षेत्र में हुनर और मेहनत से सिक्का जमानेवाली किशोरी आमोणकर को उनके चाहनेवाले ताई के नाम से भी जानते थे. 10 अप्रैल 1931 को मुम्बई में ही पैदा हुई किशोरी ताई ने अपनी मां और विख्यात गायिका मोगुबाई कुर्डिकर को अपना गुरु माना और संगीत साधना की. पति रवि आमोनकर ने उनका पूरा साथ दिया. 1992 में रवि अमोनकर का निधन हुआ है.

किशोरी ताई जयपुर घराने की शिष्या थीं, जिन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में मेहनत से अपना परचम लहराया. 'गीत गाया पत्थरों ने' इस 1964 की हिन्दी फिल्म में उन्होंने गायन किया था, जबकि 1991 में रिलीज हुई 'दृष्टि' इस फिल्म को उनके संगीत निर्देशन से नवाज़ा गया.

1950 से शुरू किए अपने करियर में कई बुलंदियों को छूनेवाली किशोरी ताई को संगीत कला अकादमी समेत, पद्मविभूषण तक कई सम्मान प्राप्त हुए, लेकिन उनकी पहचान रही तो उनके चहेतों ने उन्हें दिए गानसरस्वती इस उपनाम से. 'स्वरार्थरमणी - रागरससिद्धान्त' यह संगीतशास्त्र पर आधारित ग्रंथ की वह रचयिता थीं. शास्त्रीय संगीत में भावनाप्रधान गायन कला को पुनर्जीवित करने का श्रेय किशोरीताई को जाता है. उन्हें प्राप्त सम्मान कुछ इस तरह हैं.

संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1985
पद्मभूषण सम्मान, 1987
संगीत सम्राज्ञी सम्मान, 1997
पद्मविभूषण सम्मान, 2002
संगीत संशोधन अकादमी सम्मान, 2002
संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 2009

उनके निधन समाज के हर वर्ग से शोक प्रकट किया गया है. मंगलवार को उनके पार्थिव पर मुम्बई में अंतिम संस्कार किए जाएंगे.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com