यह ख़बर 12 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कश्मीर के गृह राज्य मंत्री का इस्तीफा, किश्तवाड़ में तीन मरे

खास बातें

  • जम्मू एवं कश्मीर के किश्तवाड़ कस्बे में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे राज्य के गृह राज्य मंत्री सज्जाद अहमद किचलू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। तीन दिन पहले भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या तीन हो चुकी है।
जम्मू:

जम्मू एवं कश्मीर के किश्तवाड़ कस्बे में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे राज्य के गृह राज्य मंत्री सज्जाद अहमद किचलू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। तीन दिन पहले भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या तीन हो चुकी है।

किश्तवाड़ और जम्मू क्षेत्र के अन्य सात जिलों में अभी भी कर्फ्यू लागू है और सेना तैनात है। जिन अन्य जिलों में कर्फ्यू लगाना पड़ा है उनमें राजौरी, जम्मू, कठुआ, सांबा, रेआसी, उधमपुर और डोडा शामिल हैं। केवल पुंछ और रामबन कर्फ्यू से मुक्त हैं।

पुलिस द्वारा पड्डार गांव में एक और शव बरामद किए जाने से दंगों में मरने वालों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पीड़ितों ने टकराव शुरू होने के बाद थाने में शरण ली थी, लेकिन ग्राम रक्षा समिति (वीडीसी) के लोगों ने उन्हें घसीट लिया और हत्या कर दी।

जम्मू के सुदूरवर्ती इलाकों में आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए वीडीसी का गठन किया गया था और उनके सदस्यों को पुलिस ने हथियार मुहैया कराए थे। अलगाववादी नेताओं ने दंगे के लिए वीडीसी को जिम्मेदार ठहराया है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किचलू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसे राज्यपाल एनएन वोहरा के पास भेज दिया है।

किचलू राज्य विधानसभा में किश्तवाड़ सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने इसके पहले संवाददाताओं से कहा कि वह उमर को अपना इस्तीफा सौंपने जा रहे हैं। गृह मंत्रालय का प्रभार उमर के पास ही है।

किश्तवाड़ के सांप्रदायिक माहौल को ठीक से न संभाल पाने के लिए किचलू तीव्र आलोचनाओं का सामना कर रहे थे। किश्तवाड़ की हिंसा बाद में जम्मू क्षेत्र के अन्य हिस्सों में फैल गई।

किचलू ने हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा उनका इस्तीफा मांगे जाने के अधिकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा, "क्या नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगों के बाद इस्तीफा दिया था।"

किश्तवाड़ की स्थिति की गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई दी। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की और समाजवादी पार्टी इसका तुरंत विरोध किया।

उधर, अरुण जेटली को किश्तवाड़ का दौरा नहीं करने देने के सवाल पर उमर अब्दुल्ला व भारतीय जनता पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है।

जेटली ने राज्य सभा में कहा कि किश्तवाड़ में ईद-उल-फितर के रोज शुरू हुई हिंसा देश की संप्रभुता के लिए खतरा है।

जेटली के हमले का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने ट्वीट में लिखा है, "क्या जेटली संसद को यह भी बताने की मेहरबानी करेंगे कि 2002 में गुजरात के गृह मंत्री या गृह राज्य मंत्री ने इस्तीफा दिया था।" उन्होंने आगे कहा है किश्तवाड़ में तीन मौतें हुई हैं- एक हिंदू और दो मुस्लिम की। और हम अपने मंत्री के इस्तीफे के साथ एक न्यायिक जांच कराने जा रहे हैं। क्या भाजपा 2002 में अपने कदमों को याद करने का साहस जुटा सकती है? उन्होंने कहा है, "निश्चित रूप से नहीं। क्योंकि उनके स्टार प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी सेना को बुलाने का इंतजार करते रहे और अभी तक पछतावा भी नहीं व्यक्त किया है। दिखावे के लिए ही सही।"

इधर, संसद में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि जम्मू क्षेत्र में हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इलाके से किसी को भी मजबूर होकर प्रवास करने जैसी स्थिति नहीं बनने देगी।

मंत्री ने राज्य सभा को बताया कि हिंसा प्रभावित जम्मू क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में आ गई है और तीन लोगों की मौत हुई है।

चिदंबरम ने कहा,"हम सभी भारतीय हैं। तीन भारतीयों ने जीवन गंवाया है और यह गंभीर दुख का विषय है।"

चिदंबरम ने कहा, "हम 1990 को नहीं दोहराने देंगे। हम मजबूरी में प्रवास की स्थिति नहीं पैदा होने देंगे। इलाके के हर व्यक्ति का जीवन सुरक्षित है।"

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उल्लेखनीय है कि राज्य में आतंकवाद के फैलने के साथ ही 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ।