क्या आप जानते हैं कौन रहे प्रणब मुखर्जी के गुरु?

प्रणब मुखर्जी के बारे में आप अब तक काफी कुछ पढ़ और सुन चुके होंगे और काफी कुछ जानना चाहते होंगे. ऐसे हम आपको बता रहे हैं आखिर प्रणब मुखर्जी किसे अपना गुरु मानते थे.

क्या आप जानते हैं कौन रहे प्रणब मुखर्जी के गुरु?

प्रणब मुखर्जी

खास बातें

  • प्रणब मुखर्जी ने जमीन से उठकर रायसीन हिल्स तक सफर तय किया
  • प्रणब मुखर्जी की कामयाबी की कहानी युवाओं के लिए है प्रेरणादायी
  • महज 46 साल की उम्र में देश वित्त मंत्री बने थे प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली:

भारतीय लोकतंत्र की अच्छाइयों का जब भी उदाहरण दिया जाएगा तो शायद प्रणब मुखर्जी का नाम जरूर लिया जाएगा. स्कूल जाने के लिए अक्सर नदी तैरकर पार करने वाले प्रणब मुखर्जी ने जमीन से उठकर देश के सर्वोच्च नागरिक बनने तक का सफतर तय किया. सत्ता के गलियारों में वे संकटमोचक का रोल निभाते रहे तो राष्ट्रपति के पद पर देश के एक ऐसे अनुभवी अभिभावक की भूमिका निभाई, जो सरकार को हर गलत कदम के लिए सचेत करते रहे. साथ ही उन्होंने देश हित में फैसले लेने में तनिक भी देर नहीं की. ऐसे महान राजनेता की सक्सेस स्टोरी किसी भी युवा के लिए प्रेरणादायी हो सकती है. अक्सर जब कभी हम किसी महान हस्ती की कामायाबी की कहानी पढ़ते हैं तो जेहन में सवाल आता है कि आखिर यह शख्स किसे अपना गुरु मानता था. प्रणब मुखर्जी के बारे में आप अब तक काफी कुछ पढ़ और सुन चुके होंगे और काफी कुछ जानना चाहते होंगे. ऐसे हम आपको बता रहे हैं आखिर प्रणब मुखर्जी किसे अपना गुरु मानते हैैं.  

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प्रणब मुखर्जी ने खुद बताया था कौन हैं उनके गुरु: साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने के बाद प्रणब मुखर्जी प्रचार अभियान में जुटे थे. राष्ट्रपति चुनाव में वोट करने वालों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए प्रणब मुखर्जी ने टीवी चैनलों और अखबारों को इंटरव्यू भी दिए थे.  इसी दौरान प्रणब मुखर्जी ने एक टीवी चैनल से कहा था, 'मैं आज जो भी हूं वह मैंने इंदिरा गांधी से सीखा है, मेरी गुरु." 

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इस इंटरव्यू में प्रणब दा ने कहा था कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री ने उनकी काबलियत और निष्ठा को देखकर केंद्र में बुलाया था. इंदिरा गांधी ने 46 साल की उम्र वाले प्रणब मुखर्जी को 1982 में देश का वित्त मंत्री बनाया. 

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सोनिया कहती हैं प्रणब दा हैं मेरे गुरु: 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के साथ समस्या हो गई. कहा जाता है कि राजीव गांधी ने उनसे पूछा कि अगले चुनावों तक देश की अंतिरम बागडोर किसे संभालनी चाहिए तो उन्होंने खुद की तरफ इशारा किया. लेकिन राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और प्रणब मुखर्जी को दरकिनार कर दिया गया. प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी भी बनाई थी, लेकिन बाद में हालात बदले और वे दोबारा कांग्रेस में लौटे. उनके राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के दौर के अखबारों में छपी खबरों कि मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वीकारती हैं कि वह प्रणब मुखर्जी को अपना राजनीतिक गुरु मानती हैं.


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