दुष्यंत कुमार के जन्मदिवस पर कुमार विश्वास ने लिखी 'दिल की बात'- पूज्य अटल जी से मंच पर तन कर पूछे सवाल...

अपनी बेबाकी के लिए मशहूर कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishvas) ने प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार (Dushyant Kumar) के जन्मदिवस पर अपने ही अंदाज में श्रद्धांजलि अर्पित की है.

दुष्यंत कुमार के जन्मदिवस पर कुमार विश्वास ने लिखी 'दिल की बात'- पूज्य अटल जी से मंच पर तन कर पूछे सवाल...

Kumar Vishvas ने प्रख्यात कवि और चिंतक दुष्यंत कुमार को किया याद

नई दिल्ली:

अपनी बेबाकी के लिए मशहूर कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishvas) ने प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार (Dushyant Kumar) के जन्मदिवस पर अपने ही अंदाज में श्रद्धांजलि अर्पित की है. फेसबुक पर पोस्ट के जरिए कुमार ने न सिर्फ दुष्यंत कुमार को याद किया बल्कि आज की राजनीतिक हालातों पर उंगली भी उठाई. कुमार ने फेसबुक पर अपने दिल की बात उड़ेलते हुए लिखा कि आजकल किसी भी सरकार से ज़रा सा कोई सवाल पूछ लो, सरकारों की ग़ैरज़िम्मेदार दुलकी चाल पर ज़रा तंज कस दो तो नेताओं व पार्टियों के पालित बुद्धिबंधक, की-बोर्ड क्रांतिकारी राशन-पानी लेकर ऐसे चढ़ते हैं जैसे उनके नेताओं की बेईमानी का सूचकांक ही मांग लिया हो ? उन्होंने लिखा कि हमने चेतना की शुरुआत से ही ये सवाल पूछे हैं, पूरी शिद्दत से पूछे हैं और जनता के सवाल, अहंकारी सरकारों से पूरी हनक के साथ पूछने की जनता की कवि से अपेक्षा को हरबार पूरा किया है. पूज्य अटल जी से उनके सामने ही मंच पर हर बार तन कर पूछे और उनकी मुस्कराहट को आश्वस्ति माना. पिछली सरकारों के मुखों और मुखियाओं से तो देश के हर गली-चौराहे पर चढ़ के पूछे और सहमति के सर न हिलते देख देश के हर सर को हिला दिया.

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कुमार ने दुष्यंत कुमार को याद करते हुए लिखा कि आज याद आता अपना वो पूर्वज जिसने सरकारी नौकरी में रहते हुए भी उस वक़्त की सरकारों से हरबार चुभते हुए, तीखे सवाल पूछे. हरबार उन सरकारों के चमचे-चिंटूओं ने अपने नेताओं से कहा कि “यह कवि राष्ट्र के ख़िलाफ़ बोल रहा है, इसपर कार्यवाही करिए” क्योंकि हर युग में पार्टी पालित चिंटू अपने आका को न केवल “राष्ट्र” समझने लगते हैं बल्कि जो राष्ट्र को राष्ट्र और किराएदार-आका को केवल किराएदार ही समझता है उसके ख़िलाफ़ फ़तवे भी पारित करते-कराते रहते ही हैं. उन्होंने कहा कि पर हमारा औघड, हमारा औलिया, हमारा फ़क़ीर सच कहने में न एक पल चूका न एक लफ़्ज़ रुका. ऐसी आग, जो सत्ताओं को आईना दिखाती रहती है...ऐसे मुहावरे, जिनके बिना देश में कोई आंदोलन नहीं होता...ऐसे अशआर, जो क्रांति की मशाल में ज्वाला उत्पन्न करते हैं...एक ऐसा शब्द-दूत जिसने हिन्दी ग़ज़ल में जो गढ़ दिया, आज भी हिन्दी ग़ज़ल उसी भाषावली के आस-पास घूमती रहती है. 

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कुमार ने आगे लिखा कि शब्दों को उनके अर्थ की हर हद तक निभाने के जादूगर, मेरे कबीले, मेरी बेचैनी, मेरे इलाक़े और मेरी ज़बान के बाबा दुष्यंत कुमार को उनके जन्मदिवस पर उन्हीं की आग को लगातार जिलाए रखने की टिटिहरी कोशिश में जुटे इस वंशज का सादर प्रणाम, लड़ेंगे-जीतेंगे. कुमार विश्वास अक्सर ट्विटर व फेसबुक के माध्यम से अपनी टिप्पणियां अपने अंदाज में रखते रहते हैं. कुमार का फेसबुक पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रियाएं जमकर आ रही हैं.