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This Article is From Nov 14, 2019

विख्यात गणितज्ञ का शव एंबुलेंस के इंतजार में पड़ा रहा, कुमार विश्वास बोले- बिहार इतना पत्थर...

एक वीडियो सामने आया है, जिसने बिहार सरकार के तमाम दावे पर सवाल खड़े कर दिये हैं. वीडियो में वशिष्ठ नारायण सिंह के परिजन उनके पार्थिव शरीर के साथ एंबुलेंस का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं.

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विख्यात गणितज्ञ का शव एंबुलेंस के इंतजार में पड़ा रहा, कुमार विश्वास बोले- बिहार इतना पत्थर...
कुमार विश्वास (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

जाने-माने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) का गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में निधन हो गया. वह 77 साल के थे. सिंह करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे. जानकारी के मुताबिक वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के पीएमसीएच में निधन हुआ. इस बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसने बिहार सरकार के तमाम दावे पर सवाल खड़े कर दिये हैं. वीडियो में वशिष्ठ नारायण सिंह के परिजन उनके पार्थिव शरीर के साथ एंबुलेंस का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि पीएमसीएच प्रशासन ने सिंह के परिजनों को एंबुलेंस तक मुहैया कराने की औपचारिकता नहीं निभाई. इस मामले पर डॉ. कुमार विश्वास ने बिहार सरकार पर निशाना है. कुमार विश्वास ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, 'उफ़्फ़, इतनी विराट प्रतिभा की ऐसी उपेक्षा? विश्व जिसकी मेधा का लोहा माना उसके प्रति उसी का बिहार इतना पत्थर हो गया?.'

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कुमार विश्वास ने अपने ट्वीट में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बीजेपी नेता गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे और नित्यानंद राय को टैग करते हुए लिखा, ''आप सबसे सवाल बनता है...भारत मां क्यों सौंपे ऐसे मेधावी बेटे इस देश को, जब हम उन्हें संभाल ही न सकें?'' आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से पटना में रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की तबीयत गुरुवार तड़के खराब हो गई थी, जिसके बाद परिजन उन्हें लेकर तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (पीएमसीएच) पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताते हुए इसे समाज और बिहार के लिए एक बड़ा नुकसान बताया. नीतीश कुमार ने कहा, "उनका निधन बिहार के लिए अपूर्णीय क्षति है. वे प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित करता हूं."

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कौन थे वशिष्ठ नारायण सिंह? 
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) मूल रूप से बिहार के भोजपुर के बसंतपुर के रहने वाले थे. वे अपने शैक्षणिक जीवनकाल से ही कुशाग्र रहे थे. डॉ़ सिंह नेतरहाट आवासीय विद्यालय के छात्र थे और सन 1962 उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर कैली से हुई. उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर प्रोफेसर कैली ने उन्हे बर्कली आ कर शोध करने का निमंत्रण दिया. सन 1963 में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए चले गए. 1969 में उन्होंने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्घांत पर किए गए उनके शोध कार्य ने उन्हें भारत और विश्वभर में प्रसिद्घ कर दिया. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ समय के लिए वह भारत आए, मगर जल्द ही अमेरिका वापस चले गए और वॉशिंगटन में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया. इसके बाद 1971 में सिंह पुन: भारत वापस लौट गए. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में भी काम किया.

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