गरीबी से पराजित नहीं हुई अपराजिता, मजदूर की बेटी बनी आईईएस अधिकारी

गरीबी से पराजित नहीं हुई अपराजिता, मजदूर की बेटी बनी आईईएस अधिकारी

केंद्रपाड़ा (ओडिशा):

गरीबी को धता बताते हुए सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले युवाओं की ताजा कहानी में यहां के एक सुदूर गांव के मजदूर की बेटी का नाम भी जुड़ गया है, जिसने इस साल की भारतीय आर्थिक सेवा (आईईएस) में सफलता हासिल की है।

महानंगला गांव की 24 वर्षीय अपराजिता प्रियदर्शिनी बेहेरा ने संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की आईईएस परीक्षा में सफलता पाने वालों की सूची में पूरे भारत में 13वां स्थान हासिल किया है। अपराजिता को इस कारण भी प्रशंसा मिल रही है, क्योंकि वह एक बेहद गरीब पृष्ठभूमि की है। उनके पिता अमूल्य कुमार बेहेरा (50) पारादीप में एक उर्वरक कारखाने में मजदूर हैं। वह वहां दैनिक वेतन पर काम करते हैं और उनकी नौकरी अनुबंध पर आधारित है। उन्हें मासिक पारिश्रमिक 10,000 रूपये से भी कम मिलता है।

अपराजिता ने गांव के एक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने केंद्रपाड़ा के पास मार्शाघई कॉलेज से बारहवीं और डिग्री की पढ़ाई की। स्कूल, कॉलेज में बेहतर अकादमिक रिकॉर्ड के बाद उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विश्वविद्यालय में अनुकूल और प्रतिस्पर्धात्मक पढ़ाई के माहौल ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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अपराजिता ने कहा, ‘मेरे पिता मेरी प्रेरणा, मार्गदर्शक और दार्शनिक हैं। मेरी पढ़ाई में सहयोग करने के लिए उन्होंने अपना पसीना बहाया। उन्होंने कभी मुझे गरीबी की दुश्वारियां महसूस नहीं होने दीं। आज मैंने जो कुछ भी पाया है वह सिर्फ और सिर्फ अपने पिता की बदौलत हासिल किया है। मैं अपनी इस अखिल भारतीय नौकरी को अपने पिता को समर्पित करती हूं।’